Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

Interview : फिल्म ‘नोटबुक’ क्यों बनाई, बता रहे हैं खुद नितिन कक्कड़

नेशनल अवार्ड विनर डायरेक्टर नितिन कक्कड़ ‘फिल्मिस्तान’ और ‘मित्रो’ के बाद अब फिल्म ‘नोटबुक’ लेकर आ रहे हैं। इस फिल्म की कहानी ऐसे अनूठे प्रेम पर आधारित है, जिस पर आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता। फिल्म का बैकड्रॉप कश्मीर है। फिल्म के सब्जेक्ट और मेकिंग से जुड़ी बातें नितिन कक्कड़ बता रहे हैं विस्तार से।

Interview : फिल्म ‘नोटबुक’ क्यों बनाई, बता रहे हैं खुद नितिन कक्कड़
X

नितिन कक्कड़ ने मराठी फिल्म से डायरेक्शन की फील्ड में कदम रखा था लेकिन 2012 में फिल्म ‘फिल्मिस्तान’ से उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया, इस फिल्म से नेशनल अवार्ड पाकर उन्होंने अपनी एक पहचान बनाई। साल 2018 में नितिन की फिल्म ‘मित्रो’ आई, जो बॉक्स ऑफिस पर भले सफल न हुई, लेकिन क्रिटिक्स ने फिल्म की कहानी को फ्रेश और इंटरेस्टिंग कहकर सराहा। नितिन अब सलमान खान द्वारा प्रोड्यूस फिल्म ‘नोटबुक’ लेकर आ रहे हैं। यह फिल्म 29 मार्च को रिलीज होगी।

प्यार की प्योरिटी पर फोकस

फिल्म का ट्रेलर देखकर साफ हो गया है कि ‘नोटबुक’ लव स्टोरी पर बेस्ड फिल्म है। फिल्म में किस तरह की लव स्टोरी दिखाई गई है? पूछने पर नितिन कक्कड़ बताते हैं, ‘कश्मीर बेस्ड इस लव स्टोरी फिल्म में मैंने प्यार के साथ ही, प्यार की प्योरिटी पर फोकस किया है। आज की जो जनरेशन है, उसे प्यार की प्योरिटी बताने और समझने की जरूरत है। हम आज ऐसी जनरेशन में आ गए हैं, जहां यंगस्टर्स बहुत जल्दी मूव ऑन कर लेते हैं, वो कहते हैं-इट्स हैपेन यार, इट्स योर पास्ट। इतना ही नहीं उन्हें ट्रायल की भी लत लग गई है। वो पहले चार जगह से खाना मंगवाएंगे, फिर जहां सबसे अच्छा होगा, उसे आगे मंगवाएंगे।

मैं नहीं कहता कि इसमें कोई बुराई है, लेकिन हर चीज के अपने नफे-नुकसान होते हैं। ऐसी सोच प्यार के मामले में नहीं चलती।’ ऐसी स्थिति में आज की जो जनरेशन है, वो बिना देखे प्यार पर यकीन क्या खाक करेगी, तो फिर क्यों नितिन एक ऐसी लव स्टोरी दिखा रहे हैं, जिसमें लड़का-लड़की एक-दूसरे को देखे बिना प्यार कर लेते हैं.. यह पूछने पर उनका जवाब होता है, ‘मैं मानता हूं यह मुमकिन नहीं लेकिन नामुमकिन भी नहीं है। प्यार तो प्यार है, वो हो ही जाता है। आज की जनरेशन पहले सूरत से प्यार करती है फिर सीरत देखकर तय करती है, आगे क्या करना है। लेकिन जहां पहले सीरत बाद में सूरत देखी जाती है, वहां उसे देखने की उत्सुकता और प्रेम दोनों बरकरार रहता है। आज ऐसे कितने ब्लॉगर्स हैं, जिनकी सूरत को किसी ने नहीं देखा लेकिन उनके विचारों से प्रभावित होकर लोग उन्हें बेपनाह मोहब्बत करते हैं।’

रीमेक नहीं, ऑफिसियल अडॉप्शन

कहा जा रहा है कि फिल्म ‘नोटबुक’ थाईलैंड की फिल्म ‘द टीचर्स डायरी’ की रीमेक है। जब इसकी सच्चाई जाननी चाही तो नितिन ने जवाब दिया, ‘फिल्म ‘नोटबुक’ थाई फिल्म ‘द टीचर्स डायरी’ की रीमेक नहीं है। हां, इसे आप ऑफिसियल अडॉप्शन कह सकते हैं। थाईलैंड और कश्मीर के कल्चर में जमीन-आसमान का फर्क है। किसी तरह का मेल नहीं है। फिल्म की कहानी अलग है, किरदार अलग है, इसलिए इसे रीमेक नहीं, ऑफिसियल अडॉप्शन कह सकते हैं।’

नए कलाकारों का साथ

इस फिल्म से मोहनीश बहल की बेटी प्रनूतन बहल और सलमान खान के दोस्त के बेटे जहीर इकबाल दोनों डेब्यू कर रहे हैं। ऐसे में नए कलाकारों के साथ काम करना नितिन के लिए कितना मुश्किल या आसान रहा, पूछने पर वह बताते हैं, ‘नए कलाकारों के साथ काम करना आसान भी है और कुछ मायनों में मुश्किल भी। नए कलाकारों की नई एनर्जी और सेंसिबिलिटी के साथ काम करने में बहुत मजा आता है। दूसरी बात नए कलाकार कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, आप उन्हें जैसा चाहें, वैसा ढाल सकते हैं। हां, उनके साथ टेक्निकली काम करने में थोड़ी दिक्कत होती है, जैसे इन्हें अकसर कैमरा कहां है, लाइट्स कहां है, इसके बारे में बताना पड़ता है, एक्टिंग करते-करते वो फ्रेम भूल जाते हैं।

वैसे सच कहूं तो नए कलाकारों को इंट्रोड्यूस करना एक बहुत बड़ी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। उनकी पहली फिल्म होने से उनके करियर की जिम्मेदारी आपके कंधों पर होती है। वैसे मेरा अनुभव तो यही कहता है कि जहीर और प्रनूतन दोनों ही काफी अच्छे कलाकार हैं। जहीर की एनर्जी, ऑनेस्टी और सिंसिबिलिटी कमाल की है। प्रनूतन तो उन कलाकारों में से हैं, जो फिल्मी बैकग्राउंड होते हुए भी अपनी पहचान बनाने में यकीन रखते हैं।’

कश्मीर में फिल्म की शूटिंग के अनुभव

फिल्म ‘नोटबुक’ की शूटिंग कश्मीर में हुई है, ऐसे में कश्मीर मंं शूटिंग करने का अनुभव कैसा रहा, पूछने पर नितिन बताते हैं, ‘फिल्म ‘नोटबुक’ की 44 दिन की शूटिंग हमने कश्मीर में की है। मैं पिछले साल भी तकरीबन तीन-चार बार कश्मीर गया था। एक बार मैं आठ दिन वहां रुका भी था लेकिन मुझे कभी वहां कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। हर जगह अलग-अलग शहर होता है, कश्मीर में भी कई शहर हैं, सबकी अपनी पॉजिटिविटी और नेगेटिविटी होती है और होनी भी चाहिए। जब दोनों बातें होती हैं। तभी तो उसे सर्वगुणसंपन्न माना जाता है।’

अवार्डेड डायरेक्टर होने का प्रेशर

नितिन कक्कड़ फिल्म ‘फिल्मिस्तान’ के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजे गए हैं। अवार्ड मिलने के बाद वे कितना प्रेशर फील करते हैं, पूछने पर जवाब देते हैं, ‘किसी को भी जब अवार्ड मिलता है, तो उसे खुशी ही होती है। अवार्ड के जरिए आपके काम को सराहा जाता है, तो आप और अच्छा काम करते हैं, मेरी भी वही कोशिश है, इसमें प्रेशर वाली बात नहीं है।’

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

और पढ़ें
Next Story