नवाजुद्दीन सिद्दीकी का ट्रोलर्स को मुंहतोड़ जवाब, कहा- मुझे गाली देने वाले पढ़े-लिखे हों
कई सालों के स्ट्रगल के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी को बॉलीवुड में मनचाहा मुकाम मिला है। आज वह इंडस्ट्री के सबसे बिजी एक्टर्स में शामिल हैं। उनकी उम्दा एक्टिंग की छाप बॉलीवुड फिल्ममेकर्स पर ऐसी पड़ी है कि अब नवाज को ध्यान में रखकर कहानियां लिखी जा रही हैं।

कई सालों के स्ट्रगल के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी को बॉलीवुड में मनचाहा मुकाम मिला है। आज वह इंडस्ट्री के सबसे बिजी एक्टर्स में शामिल हैं। उनकी उम्दा एक्टिंग की छाप बॉलीवुड फिल्ममेकर्स पर ऐसी पड़ी है कि अब नवाज को ध्यान में रखकर कहानियां लिखी जा रही हैं। इन दिनों वह कई फिल्में कर रहे हैं, जिसमें से ‘जीनियस’, ‘मंटो’ और ‘ठाकरे’ चर्चा में हैं।
आप अलग-अलग तरह की फिल्में कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि बायोपिक फिल्मों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं?
देखिए, मैं कहानी और किरदार चुनता हूं। मैंने नंदिता दास के निर्देशन में सआदत हसन मंटो की बायोपिक फिल्म ‘मंटो’ की है, क्योंकि इसमें अच्छी कहानी और किरदार निभाने को मिला।
यह फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में धूम मचा चुकी हैं। अब मैं शिवसेना प्रमुख रहे स्व. बाला साहब ठाकरे की हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में बन रही बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ कर रहा हूं।
फिल्म ‘ठाकरे’ आपको कैसे मिली?
अचानक एक दिन शिवसेना नेता संजय राउत ने मुझे एक होटल में मिलने के लिए बुलाया। मेरे पहुंचते ही उन्होंने कहा कि वह बाला साहब के जीवन पर फिल्म बना रहे हैं, जिसमें उनका किरदार मुझे निभाना है।
चाय खत्म होते ही हमारी यह मुलाकात खत्म हो गई थी। उसके बाद मैं कई दिन तक नर्वस रहा, क्योंकि बाला साहब ठाकरे बहुमुखी और प्रतिभाशाली इंसान थे। उनका किरदार निभाना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल काम था।
बाला साहब का किरदार निभाने के लिए आपको किस तरह की तैयारी करनी पड़ी?
इस फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले मैंने काफी तैयारियां कीं। सबसे पहले मैंने बाला साहब के सभी करीबी लोगों से मिलकर छोटी से छोटी जानकारी हासिल की। उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने मुझे अपना पूरा घर दिखाया।
मैंने बाला साहब की दिनचर्या से लेकर उनकी हर बात को बेहद गहराई से समझने की कोशिश की। घर पर उनका अलग अंदाज होता था, जबकि स्टेज पर वह अलग नजर आते थे। बाला साहब का रोल निभाने के लिए तीन महीने तक मैंने मराठी भाषा सीखी।
इसके अलावा मैंने ठाकरे साहब के तमाम वीडियो देखे। उनकी चलने की स्टाइल, उनके बोलने की अदा को, अपने रोल में लाने की पूरी कोशिश की। मेरा मानना है कि जब एक एक्टर किसी इंसान की बायोपिक फिल्म में काम करता है।
यह जरूरी हो जाता है कि जिस इंसान का किरदार वह निभाने जा रहा है, उसकी चाल ढाल, उसकी सोच को भी समझे। फिल्म ‘ठाकरे’ में हम बाल ठाकरे की पूरी जिंदगी और उनकी जटिल यात्रा को ईमानदारी के साथ पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।
बालासाहब ठाकरे की जीवनशैली से आपने क्या सीखा?
मैंने निश्चित तौर पर बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने अपना करियर कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरू किया था। ठाकरे साहब अंग्रेजी अखबारों के लिए कार्टून बनाते थे। 1960 में ‘मार्मिक’ नाम का मराठी भाषा में साप्ताहिक अखबार निकाला।
बाद में अपने पिताजी केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित और प्रसारित किया। 1966 में उन्होंने राजनीतिक पार्टी शिवसेना की नींव रखी। बाद में मराठी और हिंदी अखबार भी निकाले। हर किसी में इतनी प्रतिभा नहीं होती है।
नेटफ्लिक्स पर आने वाली ‘सेक्रेड गेम्स’ वेब सीरीज को लेकर क्या कहेंगे?
यह सीरीज विक्रम चंद्रा के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। एक कलाकार के तौर पर मैं क्रिएटिव काम कर रहा हूं। मुझे जटिल किरदार निभाने में बड़ा आनंद आता है। हम इस सीरीज में हर बदमाशी को दिखा पा रहे हैं, क्योंकि यहां पर सेंसरशिप नहीं है।
मैं इस सीरीज के सभी आठ एपीसोड में नजर आऊंगा। लोग मुझे अपराधी प्रवृत्ति के अंडरवर्ल्ड डॉन गणेश गायतोंडे के किरदार में देख रहे हैं। मैं बताना चाहूंगा कि मुझे ग्रे शेड्स वाले किरदार निभाने में ज्यादा इंट्रेस्ट है।
आने वाली फिल्में कौन-सी हैं?
अनिल शर्मा की ‘जीनियस’, रितेश बत्रा की ‘फोटोग्राफ’ भी की है। कबीर खान के निर्देशन में फिल्म ‘83’ में रणवीर सिंह के साथ काम करने वाला हूं। इसमें कपिल देव का किरदार रणवीर सिंह निभा रहे हैं। जबकि मैं उनके कोच का किरदार निभा रहा हूं।
मैं आथिया शेट्टी के साथ एक फिल्म ‘मोटीचूर चकनाचूर’ करने वाला हूं। मैं अपने भाई शमास सिद्दिकी के निर्देशन में क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘गेहूं गन्ना और गन’ में भी एक्टिंग करने वाला हूं। तनिष्ठा चटर्जी के निर्देशन में भी एक फिल्म करने वाला हूं। इनके अलावा भी कई प्रोजेक्ट्स हैं।
इंडस्ट्री में कुछ लोगों का कहना है कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी को अपनी आलोचना सुनना पसंद नहीं है, इस सवाल पर वह कहते हैं, ‘मुझे अपनी आलोचना सुनना पसंद है, लेकिन मेरी आलोचना करने वाला इंसान उस काबिल हो।
जो इंसान किसी काबिल नहीं, वह इंसान किसी को भी गाली दे देता है। जब मेरी कोई आलोचना करता है, तो मैं इंसान की शिक्षा के बारे में जानकारी हासिल करता हूं। अगर एक इंसान समझदार, जानकारी रखने वाला और अनुभवी है तो वह मुझे दस गाली दे सकता है।
मैं उसकी हर गाली को स्वीकार करूंगा, उस पर विचार करूंगा, उससे सीखूंगा। लेकिन जो बस घर पर बैठे रहते हैं, काम कुछ करते नहीं हैं, सिर्फ सोशल मीडिया पर शेखी बघारते रहते हैं, उनको मैं कोई तवज्जो नहीं देता। टि्वटर पर बेवजह गाली देने वालों की कौन सुनता है?’
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