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भारतीय सिनेमा के मशहूर संगीतकार नौशाद अली की 12वीं पुण्यतिथि आज, जानिए कैसा रहा उनका सफर

हिन्दी फिल्मों के मशहूर संगीत निर्देशक नौशाद अली की आज 12वीं पुण्यतिथि है। नौशाद अली का जन्म 25 दिसंबर 1919 को लखनऊ में हुआ था। उनके पिता वहीद अली कोर्ट में क्लर्क थे।

भारतीय सिनेमा के मशहूर संगीतकार नौशाद अली की 12वीं पुण्यतिथि आज, जानिए कैसा रहा उनका सफर
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हिन्दी फिल्मों के मशहूर संगीत निर्देशक नौशाद अली की आज 12वीं पुण्यतिथि है। नौशाद अली का जन्म 25 दिसंबर 1919 को लखनऊ में हुआ था। उनके पिता वहीद अली कोर्ट में क्लर्क थे।

नौशाद के पिता को नौशाद का संगीत सीखना रास नहीं आता था, इसके बावजूद भी नौशाद ने संगीत की शिक्षा लेना नहीं छोड़ा और इसे ही अपना करियर बनाया।

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बचपन से ही उनका संगीत में रुझान था। वह हर साल लखनऊ से 20 किमी दूर बाराबंकी में आयोजित वार्षिक मेले में मशहूर कव्वालियों और संगीतकारों को सुनने जाते थे।

नौशाद अली ने भारतीय संगीत की शिक्षा उस्ताद गुरबत अली, उस्ताद युसूफ अली, उस्ताद बाबन साहेब और कई महान संगीतकारों ले ली।

नौशाद भारतीय हिंदी सिनेमा के महान और प्रमुख संगीत निर्देशकों में से एक माने जाते हैं। नौशाद विशेष रूप से फिल्मों में शास्त्रीय संगीत के उपयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए जाने जाते हैं।

नौशाद को मिले ये सम्मान

भारतीय सिनेमा में उनके अच्छे संगीत और योगदान के लिए 1982 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और 1992 में पद्म भूषण से नवाज़ा गया था।

एक स्वतंत्र संगीत निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म 1940 में ‘प्रेम नगर’ थी। उनकी पहली संगीत फिल्म ‘रतन ‘(1944) थी। सन् 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया ‘ के लिए नौशाद अली का नाम ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था। नौशाद अली ने ‘पाकीज़ा’, ‘नई दुनिया’, ‘संजोग’, ‘मेला’ और ‘ताज महल’ जैसी कई मशहूर फिल्मों में संगीत दिया।

नौशाद ने लिखें कविता संग्रह

नौशाद अली संगीत के अलावा कविताएं लिखने के भी शौकिन थे। नौशाद ने औपचारिक रूप से आथवान सुर ("आठवें नोट") नामक उर्दू कविता की पुस्तक और "अभिनव सुर - द अदर साइड ऑफ नौशाद" नामक उर्दू कविता का लॉन्च किया था, जो कि आठ गजलों का संग्रह है।

नौशाद की सफलता की सूची यहीं खत्म नहीं होती है, उन्होंने फिल्म में संगीत देने के अलावा ‘मालिक’, ‘उड़न खटोला’ और ‘बाबूल’ फिल्मों को प्रोडूयूस भी किया था।

नौशाद अकेडमी ऑफ हिन्दुस्तान

अंतिम दिनों में नौशाद अली ने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया था कि एक प्लॉट की मंजूरी दी जाए, जहां संगीत संस्थान बन सकें, जिससे भारतीय संगीत को बढ़ावा मिलते रहे। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी बात मानी और ‘नौशाद अकेडमी ऑफ हिन्दुस्तान’ संगीत का निर्माण किया गया।

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