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ऐसा क्या हुआ कि गौरव चोपड़ा बन जायेंगे 'अघोरी', जानिए असली वजह

टीवी पर सास-बहू ड्रामा से इतर अब ऐसे सब्जेक्ट पर भी सीरियल बनने लगे हैं, जिनका कॉन्सेप्ट बिल्कुल यूनीक है। अब सीरियल ‘अघोरी’ के जरिए अघोरियों की दुनिया से दर्शक रूबरू होंगे। इस सीरियल में गौरव चोपड़ा अघोरी बने हैं। वह इस तरह का रोल करने को कैसे तैयार हो गए? इस सीरियल को बनाने का मकसद क्या है? बता रहे हैं गौरव चोपड़ा।

ऐसा क्या हुआ कि गौरव चोपड़ा बन जायेंगे अघोरी, जानिए असली वजह
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गौरव चोपड़ा टीवी के पॉपुलर एक्टर्स में से हैं। उनके नाम कई हिट सीरियल हैं, जिसमें 'इश्क में मरजावां', 'डोली अरमानों की', 'कर्मा', 'लेफ्ट राइट लेफ्ट', 'उतरन', 'ऐसा देश है मेरा', 'सीआईडी', 'सावधान इंडिया' शामिल हैं। इन दिनों वह जी टीवी के अपकमिंग सीरियल 'अघोरी' को लेकर चर्चा में हैं। पिछले दिनों सीरियल 'अघोरी' के प्रमोशन के दौरान गौरव चोपड़ा से मुलाकात हुई। इस मौके पर सीरियल और उनके किरदार से जुड़ी लंबी बातचीत हुई। पेश है, गौरव चोपड़ा से हुई बातचीत के चुनिंदा अंश-

सीरियल 'अघोरी' नाम से ही डिफरेंट कॉन्सेप्ट वाला लग रहा है, इसके बारे में बताइए?

इसमें मेरा बहुत जिम्मेदारी वाला रोल है, क्योंकि 'अघोरी' का कॉन्सेप्ट और अघोरियों के बारे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। वही सवाल मेरे मन में भी थे। मैं कुछ भी ऐसा टीवी पर नहीं करना चाहता, जो गलत बात को रिप्रेजेंट करे। इसलिए मेरी इच्छा थी कि हम इस कॉन्सेप्ट को कैसे दिखा रहे हैं, पहले वो मुझे पता चले।

यही वजह रही कि मैंने प्रोडक्शन टीम से बहुत सवाल पूछे। मुझे खुशी हुई कि उनके पास बहुत गहरी रिसर्च थी। आमतौर पर जो टीवी शोज की रिसर्च होती है, वह क्रिएटिव पार्ट से ज्यादा बिजनेस पार्ट पर होती है। मैंने वह रिसर्च देखी, उसके बाद ज्यादातर सवालों के जवाब मुझे मिल गए तो अघोरी का रोल करने के लिए मैं तैयार हो गया।

अपने रोल को लेकर आपके मन में क्या और किस तरह के सवाल थे?

मेरे मन में दो तरह के सवाल थे। एक, जब हम अघोरियों को टीवी पर दिखा रहे हैं तो क्या हम उनका एक रूप दिखा रहे हैं? दूसरा, आम लोगों के मन में जो अघोरियों के लिए एक राय बनी हुई है, उसे बदल पाएंगे और क्या उस राय को बदलने के लिए हमारे पास पूरी रिसर्च है। लेकिन जब मैंने टीम की रिसर्च देखी और पढ़ी तो महसूस किया कि हम सीरियल के जरिए सही बात कह रहे हैं।

अघोरी जैसा सीरियस कॉन्सेप्ट क्या टीवी के लिए बोझिल नहीं हो जाएगा?

नहीं, बिल्कुल नहीं। सबसे पहले तो बता दूं कि यह एक मनोरंजन से भरपूर सीरियल है। यह अघोरियों पर डॉक्यूमेंट्री नहीं है। यहां हम एक मजेदार स्टोरी के जरिए अघोरियों की बात करेंगे। हमारे सीरियल में एक लड़की ईशान नाम के लड़के से प्यार करती हैं, जो अघोरी है। जब उस लड़की को पता चलता है कि उसका प्रेमी एक अघोरी है तो क्या उसका जो प्यार है, उसके मन में जो ईशान के लिए इज्जत है, क्या वो बदल जाती है? उस लड़के के प्वाइंट ऑफ व्यू से यह मजेदार कहानी आपको देखने को मिलेगी।

सीरियल में अपने किरदार के बारे में बताएं?

मेरे किरदार का नाम ईशान है, जो बचपन में बेसहारा था और अघोरियों ने उसे पाल-पोस कर बड़ा किया, उसका ख्याल रखा। जब वह उन्हें छोड़कर जाता है दुनिया में, समाज में तब उसे समझ में आता है कि असल में रिश्ते, प्यार और नाते क्या होते हैं। उसके लिए भी प्यार की यात्रा अनोखी होती है, बहुत कुछ सिखाने वाली होती है।

अघोरी तो प्यार-मोहब्बत से दूर रहते हैं फिर सीरियल में लव स्टोरी कैसे बन गई?

यहां लड़की को ईशान से प्यार हो जाता है और जब उसे पता चलता है कि ईशान अघोरी है, तब उसकी जिंदगी बदलती है। लेकिन लड़के के लिए भी इन इमोशंस को समझने का जरिया बन जाता है, उसका यह रिश्ता। अघोरियों के साथ रहते हुए उसे नहीं पता था कि प्यार की फीलिंग क्या होती है? रिश्तों के दायरे क्या होते हैं? हर रिश्ते की अलग इज्जत कैसे होती है?

उसके लिए उसका गुरु और उसके गुरु की दी हुई दिशा ही सब कुछ थी? क्योंकि उस गुरु ने न केवल उसे वह शिक्षा दी बल्कि पाल-पोस कर बड़ा भी किया। उसे मुसीबतों से बचाया। लेकिन ईशान एक दिन अघोरियों की दुनिया से निकलता है, जिसका जरिया प्यार बनता है। इस वजह से हमारे सीरियल में लव स्टोरी इंपॉर्टेंट है।

इस सीरियल में आपको सबसे अच्छी बातें क्या लगीं?

सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह 52 एपिसोड की कहानी है। इसलिए यहां कहानी के साथ कोई खींचा-तानी नहीं होने वाली। दर्शकों को एक मजेदार और मजबूत कहानी देखने को मिलेगी। अघोरियों के बारे में दर्शक बहुत कुछ जानेंगे, जो इससे पहले कभी किसी सीरियल में नहीं दिखाया गया। मुझे भी इस सीरियल में नयापन लगा इसलिए इसे कर रहा हूं।

इस सीरियल से जुड़ने से पहले आपके खुद के क्या विचार थे, अघोरियों के बारे में?

दरअसल, मेरे खुद ऐसे ही सवाल थे, जो ऑडियंस के या आप मुझसे पूछ रही हैं। मेरे मन में एक ऐसी इमेज थी, जैसे नागा साधुओं वाली या हमने कुंभ मेले की तस्वीरों में देखी है, डॉक्यूमेंट्रीज में देखी है। कोई साधु एक पैर पर खड़ा है और उनके पास कुछ सिद्धियां होती हैं।

यह सब मुझे ऊपरी तौर पर पता था लेकिन क्या सच में ऐसा ही होता है? क्या यहलोग सिर्फ यही करते हैं? यह रहते कहां हैं? क्या इनका भी कोई समाज होता है? अगर हां तो क्या इनके समाज के कुछ अपने नियम होते हैं? ये बातें मुझे नहीं पता थीं। लेकिन अब पता हैं।

क्या इस दौरान आपको किसी अघोरी से मिलने का मौका मिला?

नहीं मुझे अघोरी से मिलने का मौका तो नहीं मिला, क्योंकि हमारी इंडस्ट्री में आज मीटिंग, कल सेकेंड मीटिंग फिर तीसरे दिन लुक टेस्ट और चौथे दिन प्रोमो शूट होता है। ऐसे में वक्त नहीं मिलता। मैंने एक दिन मांगा था कि मैं शूटिंग शुरू करने से पहले एक दिन चाहता हूं और उस दिन मैं एक व्यक्ति से मिला, जो उस टीम का हिस्सा था, जो कुंभ मेले में अघोरियों से मिला था। मैंने उससे बात की और प्रोडक्शन की रिसर्च को पूरा पढ़ा। मेरे पास इतना ही वक्त था।


रेणु खंतवाल

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