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Bollywood Film Report Card 2018: दर्शकों पर जलवा कायम करने वाली फिल्मों पर एक नजर, किसने मारी बाजी-कौन रहा पीछे

इस साल की पहली छमाही बीत चुकी है। अब तक रिलीज फिल्मों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दर्शकों ने मिले-जुले विषयों वाली फिल्मों को पसंद किया।

Bollywood Film Report Card 2018: दर्शकों पर जलवा कायम करने वाली फिल्मों पर एक नजर, किसने मारी बाजी-कौन रहा पीछे
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इस साल की पहली छमाही बीत चुकी है। अब तक रिलीज फिल्मों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दर्शकों ने मिले-जुले विषयों वाली फिल्मों को पसंद किया।

घिसे-पिटे फॉर्मूले भी चले और नई, अनोखे विषय वाली फिल्में भी सराही गईं। सही मौके पर आकर बेकार फिल्में भी चलीं तो वहीं कई अच्छी फिल्मों को भी नाकामी का सामना करना पड़ा।

क्या कहते हैं आंकड़ें:-

2017 की पहली छमाही में रिलीज हुई,104 फिल्मों के मुकाबले इस साल के पहले छह महीनों में महज 89 फिल्में ही आईं। कामयाब फिल्मों की गिनती तकरीबन उतनी ही रही, जितनी हर साल रहती है।

एक तरफ जहां फिल्म वाले दर्शकों को लुभाने के लिए तरह-तरह के जतन करते रहे, वहीं दर्शकों ने भी हर फिल्मकार को उसकी क्षमताओं का अहसास भी कराया।

चमक-दमक वाली फिल्मों ने खींचे दर्शक

आज का भारतीय सिनेमा भले ही अपने विकास के नए-नए सोपान तय कर रहा है, एक से एक दिग्गज फिल्मकार हमारी इंडस्ट्री में हैं, लेकिन बॉलीवुड फिल्मकार चमकीली-भड़कीली फिल्में बनाने का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं और दर्शक भी इन फिल्मों की ओर आकर्षित होते हैं।

फिर चाहे वो ‘पद्मावत’ हो या ‘रेस 3’। मजे की बात यह है कि उम्मीदों पर खरे न उतरने के बावजूद ये फिल्में दर्शकों की जेबों में पैसे ऐंठ कर मोटी कमाई कर रही हैं। समीक्षकों द्वारा ये फिल्में अच्छी भी नहीं बताई गईं, बावजूद इसके दर्शक अपने पैसे फूंकने थिएटर आए।

संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशक, बड़े-बड़े सितारे, शानदार सेटअप, फिर 26 जनवरी का मौका और ऊपर से दो महीने चली विवादों की आंधी ने ‘पद्मावत’ को आकर्षण का केंद्र बनाया।

वहीं सलमान खान का नाम, ‘रेस’ जैसा सफल ब्रांड और सबसे बढ़ कर ईद का कमाऊ मौका, ऐसे में ‘रेस 3’ जैसी बेहद कमजोर कहानी और निर्देशन वाली फिल्म भी डेढ़ सौ करोड़ पार कर जाए तो लगता है कि हमारे दर्शकों को अच्छे-बुरे सिनेमा की समझ अभी और बढ़ानी होगी।

उधर राजकुमार हिरानी जैसे काबिल निर्देशक भी ‘संजू’ में अपनी पूर्व फिल्मों की तरह सधे हुए निर्देशक नजर नहीं आए। हालांकि यह फिल्म अब तक की सबसे बड़ी ओपनिंग वाली फिल्म साबित हुई है। फिल्म का पहले दिन का कलेक्शन 34.75 करोड़ रहा।

उम्दा फिल्मों को मिली सराहना

कुछ फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर तूफान तो नहीं खड़ा करतीं लेकिन अपनी क्वालिटी से वे दर्शकों के दिलों में जरूर जगह बना लेती हैं। अक्षय कुमार वाली ‘पैडमैन’ ऐसी ही फिल्म थी।

जिस देश में औरतों को अपनी कुदरती प्रक्रिया यानी माहवारी के दौरान यातना पूर्वक जीवन यापन करना पड़ता हो, वहां अगर इस विषय पर कोई फिल्म बन कर आए तो यह एक अचंभा ही कहलाएगा है। दर्शकों ने इस फिल्म को सराहा।

अजय देवगन वाली ‘रेड’ की कामयाबी ने बताया कि मसालेदार फिल्मों से इतर किसी ईमानदार चरित्र पर फिल्म बने तो दर्शक पसंद करते हैं। मेघना गुलजार के सधे हुए निर्देशन मं। आई ‘राजी’ की सफलता फिल्म इंडस्ट्री के तय किए हुए फार्मूलों को तोड़ती दिखाई दी।

‘राजी’ जैसी फिल्में हमें गहरे से प्रभावित करती हैं। ऐसी ही कहानियां सिनेमा को समृद्ध भी बनाती हैं। कसावट और विश्वसनीयता की कमी के बावजूद जॉन अब्राहम वाली ‘परमाणु-द स्टोरी ऑफ पोखरण’ ने एक अनछुए विषय को उठाते हुए पर्याप्त मनोरंजन दिया और सफलता हासिल की।

शुजित सरकार ने ‘अक्टूबर’ में एक धीमी और सहज कहानी दी। इस किस्म की फिल्मों की सफलता सिर्फ सिनेमा ही नहीं, अपने आस-पास की जिंदगी के लिए भी नई उम्मीदें जगाती हैं।

अनुष्का शर्मा के बैनर से आई ‘परी’ ने हॉरर के नाम पर नीबू-मिर्ची और तंत्र-मंत्र परोसने की बजाय कुछ हटकर, कुछ मैच्योर किस्म का हॉरर पेश किया और अपेक्षित सफलता पाई। यशराज से आई ‘हिचकी’ ने हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न उठाए।

फिल्म ने बुरे-अच्छे, समझदार-कुशल अध्यापकों के बीच का फर्क बताया, आंखें नम करवाईं और सफलता भी पाई। अमिताभ बच्चन-ऋषि कपूर वाली ‘102 नॉट आउट’ ने नेक इरादों के साथ दो बुजुर्गों की कहानी के जरिए जिंदगी जीने का फलसफा बताया।

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