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Birthday Special: 30 साल की उम्र और 12 फ्लॉप फिल्म्स के बाद कुछ ऐसी बदली थी महानायक Amitabh Bachchan की किस्मत

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज 79 साल के हो चुकें हैं। जिस उम्र में अक्सर लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं अमिताभ अभी भी दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। 11 अक्टूबर 1942 को कवि हरिवंश राय बच्चन और सोशल एक्टिविस्ट तेजी बच्चन के घर जन्में इंकलाब एक दिन अमिताभ बच्चन बन हिंदी सिनेमा पर दशकों तक राज करने वाले हैं, तब इस बात की भनक शायद ही किसी को हुई होगी। आज अमिताभ के जन्मदिन पर हम आपको उनकी जिंदगी के फिल्मी सफर पर लेकर के जाएगें।

Birthday Special: 30 साल की उम्र और 12 फ्लॉप फिल्म्स के बाद कुछ ऐसी बदली थी महानायक Amitabh Bachchan की किस्मत
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बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) आज 79 साल के हो चुकें हैं। जिस उम्र में अक्सर लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं अमिताभ अभी भी दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। 11 अक्टूबर 1942 को कवि हरिवंश राय बच्चन (Harivansh Rai Bachchan) और सोशल एक्टिविस्ट तेजी बच्चन (Teji Bachchan) के घर जन्में इंकलाब एक दिन अमिताभ बच्चन बन हिंदी सिनेमा पर दशकों तक राज करने वाले हैं, तब इस बात की भनक शायद ही किसी को हुई होगी। आज अमिताभ के जन्मदिन पर हम आपको उनकी जिंदगी के फिल्मी सफर पर लेकर के जाएगें।

कैसे इंकलाब से अमिताभ में बदला नाम


हिंदी साहित्य के जाने माने कवि हरिवंश राय बच्चन के घर जब उनकी और तेजी बच्चन की पहली संतान ने जन्म लिया तो सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने बेटे का नाम 'इंकलाब जिंदाबाद' (Inquilab Zindabad) के नाम पर 'इंकलाब' (Inquilaab) रख दिया। 'इंकलाब जिंदाबाद' उस दौरान का वो नारा था जिसे भारत के घर घर में हर शख्स जानता था। इंकलाब कभी अमिताभ न हुए होते अगर एक दिन हिंदी साहित्य के एक और महान कवि सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) उनके घर न पधारे होते। एक दिन सुमित्रानंदन पंत हरिवंश राय बच्चन के घर पहुंचे तो उन्होंने नवजात के लिए अमिताभ नाम सुझाया तब से इंकलाब अमिताभ बन गए और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की पहचान।

शुरुआती शिक्षा- दीक्षा


अमिताभ की शुरुआती पढ़ाई इलाहाबाद के बॉयज हाई स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए नैनीताल के शेरवुड कॉलेज भेज दिया गया। एक्टर की स्कूली पढ़ाई और गैजुएशन करने के बाद वह दिल्ली मास्टर्स की पढ़ाई करने के लिए पहुंच गए। अमिताब ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ी मल कॉलेज से आर्ट्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। सुना जाता है जब अमिताभ की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी तो उनके पिता हरिवंश उनके काम के लिए बात करने पृथ्वी राज कपूर (Prithviraj Kapoor) के पास पहुंचे थे लेकिन उन्हें वहां से निराशा हासिल हुई।

रेडियो प्रेसेंटेटर का सपना जब रह गया अधूरा


अमिताभ बच्चन ने ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) में न्यूज रीडर की पोस्ट के लिए अप्लाई किया लेकिन कहा जाता है कि उनकी आवाज जो आज उनकी पहचान है इसके चलते उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। कहा जाता है कि अमीन सयानी (Ameen Sayani) उस वक्त रेडियो के राजा हुआ करते थे अमिताभ ने उनसे मिलने की लाख कोशिश की लेकिन अमीन के पास तो भावी सिनेमा के राजा से मिलने का समय ही नहीं था, सो अमिताभ निराश हो गए। अमीन सयानी ने बाद में दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि 'मैं सड़कों पर होता और उन्हें रेडियो पर इतना काम मिलता कि भारतीय सिनेमा ने अपना सबसे बड़ा सितारा खो दिया होता।' इसके बाद अमिताभ कोलकाता की एक बर्ड एंड कम्पनी में बिजनेस एक्जीक्यूटिव बन गए।

वॉइस आर्टिस्ट के बाद ऐसे हुई एक्टिंग की शुरुआत


कहा जाता है कि अमिताभ ने फिल्मों में काम करने से पहले बिजनेस कंपनी और थिएटर में काम किया था। अमिताभ की फिल्मी दुनिया से पहचान हुई साल 1969 में जब उन्होंने फिल्म 'भुवन सोम' (Bhuvan Shome) के लिए बतौर वॉइस ओवर आर्टिस्ट काम किया। अमिताभ पहली बार बड़े पर्दे पर फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' (Saat Hindustani) में नजर आए थे। ख्वाजा अहमद अब्बास द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उत्पल दत्त, अनवर अली, मधु और जलाल आगा भी अहम रोल में नजर आए थे। इस फिल्म में अमिताभ का रोल सात में से एक हिंदुस्तानी का था। साल 1971 में आई फिल्म 'आनंद' (Aanand) ने अमिताभ को उनका पहला फिल्म फेयर पुरुस्कार दिलवाया था। इस फिल्म में अमिताभ उस समय के सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के साथ नजर आए थे।

12 फ्लॉप फिल्में और 2 हिट के साथ महानायक ऐसे बढ़े आगे


'आनंद' फिल्म के बाद वह फिल्म 'परवाना' में नजर आए थे। इस फिल्म में वह पहली बार ग्रे शेड में नजर आए थे। एक्टर ने इस फिल्म में एक प्रेमी से हत्यारे बने एक शख्स की भूमिका निभाई थी। इसके बाद एक्टर 'रेश्मा और शेरा', 'गुड्डी', 'बॉम्बे टू गोवा' और 'संजोग' जैसी फिल्मों में नजर आए थे। अमिताभ संघर्ष कर रहे थे, उन्हें एक फेल्ड न्यूकमर के रूप में देखा जा रहा था, जिसने 30 साल की उम्र में बारह फ्लॉप और केवल दो हिट फिल्में दीं थी। इसके बाद उन्हें मिली फिल्म 'जंजीर' (Zanjeer) जो उनके करियर का वो मोड़ साबित हुई जिसने अमिताभ को सफलता के रास्ते पर पहुंचा दिया। फिल्म जंजीर में अमिताभ की खूब सराहना हुई और इस फिल्म के बाद लोग उन्हें 'एंग्री यंग मैन' (Angry Young Man) के नाम से भी जानने लगे।

जंजीर के बाद छुई सफलता की ऊंचाइयां


'जंजीर', 'दीवार', 'शोले', 'त्रिशूल', 'नमक हराम', 'अभिमान' और 'सिलसिला' ये उस दौर की फिल्में हैं जिस दौर में हमारी फिल्म इंडस्ट्री अमिताभ के नाम से जानी जाने लगी थी। एक्टर एक के बाद एक हिट देकर सफलता की ऊंचाइयों को छूते जा रहे थे। साल 1973 से लेकर के 1988 तक एक्टर का दौर बिना रोकटोक आगे बढ़ने लगा। इसके बाद उनकी सफलता की गाड़ी रुक रुक कर चलने लगी, अमिताभ एक्टिंग छोड़ बाकी चीजों में अपना हाथ आजमाने लगे थे। अमिताभ का न फिल्म प्रोडक्शन चला और न ही वे बिजनेस में सफल हुए, इस निराशा के बाद एक्टर ने काफी समय बाद ये महसूस किया कि वह गलती कर रहे हैं। इतनी निराशा हाथ लगने के बाद उन्हे ये पता चल चुका था कि वह सिर्फ एक्टिंग के लिए ही बने है और किसी के लिए नहीं।

दुबारा एक्टिंग की गाड़ी पर हुए सवार तो निकल पड़ी एक्टर की किस्मत


इतनी असफलता देखने के बाद वह यशराज की फिल्म 'मोहब्बतें' (Mohabbatein) में वह गुरुकुल के एक स्ट्रिक्ट प्रिंसीपल के रोल में नजर आए इस फिल्म के बाद एक्टर मेन स्ट्रीम फिल्मों मे वापसी कर चुके थे उनके करियर की गाड़ी एक बार फिर स्टार्ट हो गई थी। इसके बाद एक्टर 'सरकार राज', 'पा', 'ब्लैक', 'पीकू', 'पिंक' और न जाने कितनी फिल्म में दर्शकों का मनोरंजन करते हुए नजर आए। अब की बात करें तो एक्टर इस समय अपने टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति 13' (Kaun Banega Crorepati) में नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही साथ एक्टर 'मेडे', 'ब्रह्मास्त्र' और 'गुडबाय' जैसी तमाम फिल्मों में नजर आने वाले हैं।

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