‘झलक दिखला जा-7’ के विनर आशीष शर्मा की कामयाबी का क्या है राज, जानिए उन्हीं की जुबानी
मैं न तो ट्रेंड डांसर्स को सामने देखकर घबराया और न ही जजेस के कमेंट को नेगेटिव वे में लिया।

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haribhoomiCreated On: 10 Oct 2014 12:00 AM GMT
मुंबई. एक नॉन डांसर होने के बावजूद एक्टर आशीष शर्मा ने डांसिंग रियालिटी शो ‘झलक दिखला जा-7’ की ट्रॉफी को अपने नाम कर लिया। कैसे पाई उन्होंने यह शानदार कामयाबी, इसके लिए उन्होंने खुद को कैसे किया तैयार, मंजिल के पाठकों को बता रहे हैं आशीष शर्मा।
किसी की जिंदगी में ऐसी स्थितियां आती हैं, जब उसे कोई काम नामुमकिन लगता है। लेकिन हमारे भीतर अगर लगन हो, कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो कामयाबी की राह जरूर मिलती है, हम अपनी कामयाबी का झंडा लहराते हैं। ‘झलक दिखला जा-7’ का विनर बनकर मैंने कुछ ऐसा ही महसूस किया। एक समय था जब मैं डांसिंग के बारे में कुछ नहीं जानता था।
इसके फॉर्मेट्स और स्टेप्स तक से अच्छी तरह वाकिफ नहीं था। लेकिन इसके बावजूद मैंने ‘झलक दिखला जा-7’ जैसे डांसिंग शो की ट्रॉफी जीत ली। यह मेरे स्वयं के लिए चौंका देने वाली बात थी। इसके लिए मुझे एक अलग तरह की और टफ जर्नी से गुजरना पड़ा, कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। तब जाकर मैं विनर बन पाया।
मैंने डांसिंग शो का विनर बनने के सफर के दौरान कुछ ऐसी बातें सीखीं, जिन्हें आपके साथ जरूर शेयर करना चाहूंगा। यह जीवन सूत्र हर युवा की कामयाबी की राह खोल सकते हैं। वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। बस जरूरत होती है, एक जुनून की.. फुल कमिटमेंट की, टाइम मैनेजमेंट की और एक प्रॉपर कॉर्डिनेशन की। इन सब के साथ आपका पॉजिटिव एटीट्यूड बहुत जरूरी है।
टाइम मैनेजमेंट : हर काम को खूबसूरती से अंजाम देने के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी होता है। ‘झलक दिखला जा-7’ के दौरान मैं सीरियल ‘रंगरसिया’ में भी बहुत बिजी था। मेरे लिए डांसिंग के लिए टाइम निकालना मुश्किल था। लेकिन मैंने मैनेज किया। इस दौरान मैंने टाइम मैनेजमेंट का गुर सीखा।
सीरियल की 12-13 घंटे की शूटिंग के बाद मैं रात के वक्त डांस की रिहर्सल करता था। सीरियल की शूटिंग के दौरान जब भी मुझे थोड़ा टाइम मिलता, मैं अपने डांस स्टेप्स को दोहराता था। इस तरह टाइम मैनेज करके मैं डांसिंग टैलेंट निखारता रहा।
प्रॉपर कॉर्डिनेशन: कई कामों को एक साथ करने के लिए टाइम मैनेजमेंट के साथ ही कॉर्डिनेशन भी जरूरी है। जब तक आप बेहतर तालमेल नहीं रखेंगे। तब तक एक्सपेक्टेड रिजल्ट नहीं मिल सकता है। अगर मैं अपनी कोरियोग्राफर शंपा के साथ बेहतर तरीके से कॉर्डिनेट नहीं करता, तो शायद मैं विनर नहीं बन पाता।
शंपा ने मेरी टाइम की प्रॉब्लम को समझा और मुझे कम वक्त में भी बेहतर डांस करना सिखाया। वह मुझे डांस की कुछ ऐसी टेक्नीक बताती थीं, जिससे मैं आसानी से परफॉर्म कर पाऊं। इस तरह बेहतर तालमेल के साथ मैंने कम समय में ही अच्छा डांस करना सीखा।
फुल कमिटमेंट: मेरा मानना है कि अगर हम किसी टार्गेट को लेकर फुली कमिटेड हैं तो नामुमकिन कुछ भी नहीं। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि नथिंग कम ईजी इन लाइफ। यानी, जिंदगी में कुछ भी आसानी से नहीं मिलता, हमें कुछ बड़ा और मनचाहा पाने के लिए पूरे भरोसे के साथ भरपूर मेहनत करनी पड़ती है।
नीचे की स्लाइड्स में जानिए, अपनी सफलता पर क्या कहते हैं आशीष शर्मा -
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