Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

आध्यात्मिक आस्था और मनोवैज्ञानिक विकार के प्रभाव के कारण बुराड़ी में परिवार के 11 सदस्यों ने की होगी खुदकुशीः IHBAS

बुराड़ी कांड में एक संभावना यह जताई गई है कि मृतकों ने आध्यात्मिक विश्वास के वशीभूत होकर खुदकुशी की होगी। दूसरी संभावना यह जाहिर की जा रही है कि मृतकों ने मनोवैज्ञानिक विकार के कारण आत्महत्या की होगी।

आध्यात्मिक आस्था और मनोवैज्ञानिक विकार के प्रभाव के कारण बुराड़ी में परिवार के 11 सदस्यों ने की होगी खुदकुशीः IHBAS
X

मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) के निदेशक निमेष देसाई ने आज कहा कि बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के मामले में सामने आ रही दो तरह की बातों को अलग-अलग देखने की बजाय मिलाकर देखा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि बुराड़ी कांड में एक संभावना यह जताई गई है कि मृतकों ने आध्यात्मिक विश्वास के वशीभूत होकर खुदकुशी की होगी। दूसरी संभावना यह जाहिर की जा रही है कि मृतकों ने मनोवैज्ञानिक विकार के कारण आत्महत्या की होगी।
दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी कांड में एक जुलाई को मृत पाए गए 11 लोगों की मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी कराने का फैसला किया है।
इस बारे में देसाई ने कहा कि ऐसा करना काफी मुश्किल होगा क्योंकि उस मकान में रह रहे परिवार का कोई सदस्य जीवित नहीं बचा। मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी में यह देखा जाता है कि व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले के क्षणों में किस मनोदशा में रहा होगा।
यह ऑटोप्सी मृतकों के परिजन, सामाजिक संपर्क में रहे व्यक्तियों और अन्य चीजों से प्राप्त जानकारी के जरिए की जाती है। इसमें मृतकों की कुछ हफ्ते या कुछ महीने पहले की मनोदशा जानने की भी कोशिश की जाती है।
देसाई ने कहा, ‘‘लेकिन यहां मुश्किल यह है कि यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है बल्कि 11 सदस्यों की बात है और उस मकान में रहने वाला परिवार का कोई सदस्य जीवित नहीं है, जिसके कारण स्थितियों को सीमित रूप में ही रूपांतरित किया जा सकेगा। बहरहाल, लिखित रिकॉर्ड काफी हैं जिनके विश्लेषण से पुलिस के अब तक के निष्कर्षों की पुष्टि हो सकेगी।'
दो तरह की संभावनाओं पर चर्चा के बीच देसाई ने कहा कि उनका मानना है कि यह दोनों के संयुक्त प्रभावों के कारण हुई घटना है।
उन्होंने कहा, ‘‘कई साल तक आध्यात्मिक आस्था और रीति - रिवाजों को लेकर पूरे परिवार में बहुत ठोस सामूहिक संबंध होने के कारण घर में प्रभाव रखने वाले एक सदस्य की मानसिक बीमारी को इसमें सहज साथ मिल गया।'
बुराड़ी कांड के संदर्भ में देसाई ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून 2017 पर फिर से विचार करने की जरूरत पर जोर दिया। केंद्र ने हाल में इस कानून को अधिसूचित किया है।
उन्होंने कहा कि इससे किसी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का इलाज मुश्किल हो गया है। हालांकि, इसकी प्रकृति अधिकार आधारित है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल का परिदृश्य मुश्किल हो जाने के कारण, खासकर यदि नए कानून को ठीक से लागू नहीं किया गया, ऐसा नहीं है कि ऐसी घटनाएं दोबारा होने की संभावनाएं नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बुराड़ी कांड नीति बनाने वालों, डॉक्टरों, न्यायपालिका, पुलिस और समाज के लिए जागने का वक्त है ताकि वे मानसिक रूप से बीमार लोगों को बगैर देखभाल या इलाज के नहीं छोड़ें।'
विशेषज्ञों ने बताया कि मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी यह स्पष्ट करने की कोशिश करती है कि किसी व्यक्ति ने अपनी जान क्यों ली। इसमें मेडिकल रिकॉर्डों का विश्लेषण होता है, मित्रों एवं परिजन का साक्षात्कार किया जाता है और मृत्यु से पहले उसकी मनोदशा पर शोध किया जाता है।
बुराड़ी कांड में पुलिस अंतिम पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। वह शवों के विसरा को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजेगी ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं मृतकों को जहर तो नहीं दिया गया था।
शुरुआती ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी 11 लोगों की मौत रस्सी से लटकने के कारण हुई और उनके शरीर पर संघर्ष या चोट के कोई निशान नहीं थे।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

और पढ़ें
Next Story