दिल्ली: सीएम केजरीवाल ने धरना खत्म किया, आप ने इसे ''छोटी जीत'' बताया
मनीष सिसोदिया ने कहा कि राशन की लोगों के द्वार तक आपूर्ति के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी जो धरने के पीछे के मुख्य मुद्दों में से एक था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंत्रियों के साथ आईएएस अधिकारियों के बैठकों में शामिल होने के बाद उपराज्यपाल कार्यालय में आज अपना नौ दिन का धरना खत्म कर दिया। आप ने इसे ‘छोटी जीत' बताया है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय के भीतर प्रदर्शन से राशन की लोगों के द्वार तक आपूर्ति के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी जो धरने के पीछे के मुख्य मुद्दों में से एक था।
उपराज्यपाल कार्यालय से बाहर आने पर आप समर्थकों ने केजरीवाल का स्वागत किया और बाद में उनके आवास पर उनका स्वागत किया गया जहां उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
केजरीवाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर उपराज्यपाल ने आईएएस अधिकारियों की हड़ताल को बढ़ावा दिया तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह छोटी सी जीत है। 99 फीसदी आईएएस अधिकारी बहुत अच्छे हैं।
हमने बिजली और जल के क्षेत्र में बहुत कुछ किया है और हम यह अकेले नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से हमें बताया कि उन पर आप सरकार के साथ काम नहीं करने के लिए दबाव डाला जा रहा था।
हम आईएएस अधिकारियों की हड़ताल को लेकर पिछले चार महीने से चुप थे लेकिन हम इस मुद्दे को हल करना चाहते थे इसलिए हमें लगा कि यह मामला जनता के सामने लाया जाना चाहिए। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी।
सिसोदिया ने आनन फानन में बुलाए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उपराज्यपाल कार्यालय में प्रदर्शन ‘धरना नहीं' था क्योंकि वे ‘उपराज्यपाल से मिलने का इंतजार' कर रहे थे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिनभर हुई कई बैठकों में आईएएस अधिकारी शामिल हुए।
उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश समेत छह आईएएस अधिकारी आप मंत्रियों के साथ अहम बैठकों में शामिल हुए। सिसोदिया ने दावा किया कि कुछ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उन पर ऊपर से दबाव था लेकिन अब आप मंत्रियों के साथ बैठकों में शामिल होने के लिए उन्हें ऊपर से मंजूरी मिल गई है।
गौरतलब है कि फरवरी में मुख्य सचिव से कथित मारपीट के बाद आप सरकार और नौकरशाहों के बीच टकराव चल रहा था। केजरीवाल, सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और श्रम मंत्री गोपाल राय ने अपनी मांगों को लेकर 11 जून को उपराज्यपाल कार्यालय में धरना शुरू किया था।
इन मांगों में आईएएस अधिकारियों को उनकी ‘हड़ताल' खत्म करने के निर्देश देना और राशन की डोरस्टेप डिलीवर को मंजूरी देना शामिल है। भूख हड़ताल पर बैठे सिसोदिया और जैन को उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दोनों को आज सुबह अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धरना नहीं था। हम उपराज्यपाल से मिलने का इंतजार कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल कार्यालय के भीतर धरने से राशन की डोरस्टेप डिलीवरी का मुद्दा नहीं सुलझ सका। मैंने मुख्यमंत्री और गोपाल राय से बात की तथा वे इस पर सहमत हो गए कि वे उपराज्यपाल कार्यालय से बाहर आएंगे।
यह कदम तब उठाया गया जब बैजल ने केजरीवाल के धरने पर बैठने के बाद से पहली बार उन्हें पत्र लिखकर दोनों पक्षों की चिंताओं को हल करने के लिए तुरंत अधिकारियों से मिलने के लिए कहा।
सिसोदिया ने कहा कि आज का घटनाक्रम यह दिखाता है कि अधिकारी मंत्रियों के साथ बैठकों में लौट रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ अधिकारियों से पूछ कि वे बैठकों में शामिल क्यों नहीं हो रहे थे।
उन्होंने कहा कि मुझे उनमें से कुछ ने बताया कि उन्हें हमारे मंत्रियों के साथ बैठकों में शामिल ना होने के लिए ऊपर से कहा गया था। अब उन्हें बैठकों में शामिल होने की मंजूरी मिल गई है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने अब बैठकों में शामिल होना शुरू कर दिया है।
उपराज्यपाल राशन की डोरस्टेप डिलीवरी पर चर्चा करने के लिए मंत्रियों से नहीं मिल रहे हैं तो उपराज्यपाल कार्यालय में बैठे रहना ठीक नहीं है क्योंकि उपराज्यपाल बहुत अहंकारी हो गए हैं कि वह हमसे मिलना ही नहीं चाहते।
सिसोदिया ने कहा कि यह ‘अच्छी बात' है कि अधिकारी बैठकों में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको बताना चाहता हूं हड़ताल के कारण जो काम बाधित हो गए थे वे आज सुलझा लिए गए।'
अपनी सुरक्षा और गरिमा को लेकर बैठक करने की अधिकारियों की मांग के बारे में उन्होंने कहा, ‘अधिकारियों के साथ हमारी बैठकें नियमित आधार पर होंगी।' उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन महीनों से हम कह रहे हैं कि हमारी लड़ाई अधिकारियों के साथ नहीं है।'
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