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डेढ़ दशक बाद ऐसा संयोग, राजपथ में नहीं दिखेगा छत्तीसगढ़ का ''कंडेल सत्याग्रह''

ये एक संयोग हो सकता है लेकिन एक हकीकत भी है, छत्तीसगढ़ की वर्ष 2000 में अजीत जोगी के नेतृतव में बनी पहली कांग्रेस सरकार के समय छत्तीसगढ़ की झांकी राजपथ पर नहीं दिखी थी।

डेढ़ दशक बाद ऐसा संयोग, राजपथ में नहीं दिखेगा छत्तीसगढ़ का कंडेल सत्याग्रह
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ये एक संयोग हो सकता है लेकिन एक हकीकत भी है, छत्तीसगढ़ की वर्ष 2000 में अजीत जोगी के नेतृतव में बनी पहली कांग्रेस सरकार के समय छत्तीसगढ़ की झांकी राजपथ पर नहीं दिखी थी।

अब डेढ़ दशक बाद भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार रसत्ता में आई तो फिर राज्य की झांकी रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ समिति द्वारा रिजेक्ट कर दी गई। एक के बाद एक झांकियों पर पुरस्कार जीत रहे छत्तीसगढ़ की झांकी इस बार राजपथ परनहीं दिखेगी। केवल छत्तीसगढ़ ही क्यों म.प्र. और राजस्थान का मॉडल भी समिति द्वारा खारिज कर दिया गया।

विदित हो कि तीनों राज्यों में हुई हालिया धिानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी है। रक्षा मंत्रालय की आरे से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जन्मशती समारोह के उपलक्ष्य में झांकियों की थीम गांधी को नेक्ट करती हुई रखी गई थी।

सभी केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों को गांधी थीम पर ही झांकियों का मॉडल और कांसेप्ट भेजा जाना था। छत्तीसगढ़ की ओर से ऐतिहासकि कंडेल नहर सत्याग्रह पर आधारित बेहद रोचक मॉडल रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा गया था लेकिन समिति को राज्य का मॉडल नहीं भाया।

पुराना इतिहास है कंडेल नहर आंदोलन का

छत्तीसगढ़ सरकार के जिले के मॉडल तैयार करने वाली एजेंसी के सूत्रों ने हरिभूमि को बातया कि अंग्रेजों के शासकाल के समय धमतरी में बने कंडेल डैम से खेती के लिए बेहद महंगे दर पानी लेने को अनिवार्य कर दिया गया था।

इसके एवज में सिंचाई टैक्स चस्पां करते हुए मोटी वसूली किसानों से होती थी। इस पर सिकाकनों ने विरोध किया। कोलकाता में आंदोलन कर रहे महात्मा गांधी के पास गए। धमतरी के किसानों के सत्याग्रह आंदोलन में शरीक होने का आमंत्रण दिया।

ये सूचना अंग्रेजों को लगी तो आनन फानन में सिंचाई टैक्स का खत्म कर दिया गया, लेकिन गांधी जी धमतरी आए थे, किसानों को उन्होंने संबोधित भी किया था। झांकी के मॉडल में कंडेल डैम और किसानों को दिखाया गया।

लगातार पुरस्कृत होती रही झांकी

ये भी इतिहास रहा है कि मप्र से लग होने के बाद छग की झांकी ने राजपथ पर जलवे बिखेरते हुए अब तक वर्ष 2006, 2010, 2013 और पिछले वर्ष 2018 में पुरस्कृत हुई। वन टू थ्री में राज्य की झांकी ने अपना स्थान बार बार बनाया। इसके उलट मप्र से छग अलग होनेे के बाद मप्र को अब तक एक बार भी पुरस्कृत होने का सौभाग्य नहीं मिला। इस बार दोनों राज्यों को मायूसी हाथ लगी।

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