दिल्ली: प्रदूषण की सटीक जानकारी देगी ये नई तकनीक, CPCB ने कसी कमर
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने दिल्ली के प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दिल्ली में प्रदूषण की निगरानी के लिए अत्याधुनिक लाइट डिटेक्शन एंड रेजिंग(लिडार) तकनीक का इस्तेमाल शुरू करने की संभावना व्यक्त की है। इस तकनीक से प्रदूषण के स्तर और हवा की गुणवत्ता का समानांतर परीक्षण किया जा सकता है।
CPCB की वायु प्रयोगशाला के प्रमुख दीपांकर साहा ने बताया कि दिल्ली में बोर्ड फिलहाल धरती की सतह के आसपास वायु प्रदूषण के निगरानी तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है, लेकिन इसके बाद जल्द ही सतह से निश्वित ऊंचाई पर हवा की गुणवत्ता को मापने के निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाएगा।
साहा ने लेजर तकनीक आधारित लिडार प्रणाली से प्रदूषण मापने की कार्ययोजना के बारे में बताते हुए कहा कि इसके तहत आसमान में लेजर किरणों के माध्यम से हवा में घुले दूषित तत्वों की मौजूदगी का सटीक अनुमान लगाया जाता है।
लेकिन इस तकनीक से पड़ने वाले तात्कालिक आर्थिक बोझ के मद्देनजर CPCB ने जमीन की सतह पर प्रदूषण के निगरानी तंत्र को मजबूत करने को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया है।
सटीक अनुमान देती है लिडार तकनीक
जमीन से ऊपर आसमान में हवा की गुणवत्ता को मापने के लिए लिडार प्रणाली को अगले चरण में लागू किया जाएगा। लिडार प्रणाली के जरिये कृषि, वन, मौसम और पर्यावरण पर प्रदूषण के पड़ने वाले असर का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
इस प्रणाली के तहत वायु प्रदूषण पर निगरानी के लिये इलास्टिक बेक्सकेटर लिडार और रमन लिडार का प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने बताया कि साल 2010 में राष्ट्रमंडल खेल आयोजन के दौरान दिल्ली में CPCB और मौसम विभाग ने 3डी मॉडलिंग के माध्यम से मैच से पहले मौसम और प्रदूषण का पूर्वानुमान व्यक्त करने के लिये इलास्टिक बेक्सकेटर लिडार तकनीक का प्रयोग किया था।
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