''भूतों वाली गली'' सुनते ही चौंक पड़ते है लोग, जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी
दिल्ली में नाईवालान, टोकरीवालान, घोड़ेवाली, बल्लीमारान गली हैं लेकिन भूतों वाली गली अपने आप में एक सवाल है

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नाईवालान, टोकरीवालान, घोड़ेवाली गली, बल्लीमारान हो सकता है लेकिन जब नाम आता है भूतों वाली गली का तो मन में अजीब-अजीब खयाल उमड़ना लाजमी है। जो लोग इस गली का नाम पहली बार सुनता है वो चौंकता जरूर है। इस गली की कहानी बेहद दिल्चस्प है। हरिभूमि डॉटकॉम आपको इस गली की असल दासतां से वाकिफ कराएगा।
पश्चिम दिल्ली के नांगलोई जाट इलाके की यह गली ठीक रोहतक रोड़ से अन्दर गांव के शिव मंदिर तक आती है। जिन्हें इस गली का इतिहास नहीं मालूम वे इसे शिव मंदिर की राह में बैठे भूतों से जोड़ लेते हैं।
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लेकिन भूतों वाली गली का सच तो यह है कि यहां कोई भूत-पिशाच नहीं बसता बल्कि आम लोगों की तरह ही यहां भी लोगों का बसेरा है। गली में घुसते हैं तो आपको साधारण दुकाने ही देखने को मिलेंगी जो हर कहीं दिख जाती है।
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इस गली के संबंध एक शिक्षक से पूछा तो उन्होंने बताया कि बहुत साल पहले इस गांव के चारो तरफ खेत थे। गहलोत जाट दिन भर खेतों में काम कर जब शाम को लौटते थे तो उनके चेहरे मिट्टी से सने होते थे। वे भूत की तरह लगते थे। तभी से यह भूतो वाली गली कही जाती है।
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वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इस गली उन जाटों का घर था जो रात भर खेतों में काम करते थे। इसलिए इस गली को भूतों वाली गली कहा जाने लगा। हालांकि अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने के क्रम में सवाल उठा सकते हैं कि दिल्ली में कैसे भूतों के नाम पर गली हो सकती है।
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फिलहाल भूतों वाली गली का यह नाम केवल अंजान आदमियों को डराने का काम कर सकता है। यह गली अपने नाम के चलते बेहद मशहूर हो चुकी है।
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