मथुरा हिंसाः सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मथुरा में हिंसा की सीबीआइ जांच का आदेश देने से मना कर दिया है। 2 जून को मथुरा हुई हिंसा में दो पुलिसकर्मी सहित 29 लोगों की मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी.सी. घोष और अमिताव रॉय की पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिका को सुनने का अधिकार इलाहाबाद हाईकोर्ट को है, इसलिए याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जाएं।
हिंसा के साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा है
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता भाजपा प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय की वकील गीता लूथरा ने कहा कि मथुरा में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई है और साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार सीबीआइ जांच की सिफारिश नहीं कर रहा है और राज्य की एजेंसियां अपना काम ठीक से नहीं कर रही हैं।
पहले सुनवाई को तैयार था SC
इस पर पीठ ने कहा कि राज्य की एजेंसियों के काम में कोई चूक है। इस बात को लेकर आपकी याचिका में कोई साक्ष्य नहीं है। बिना साक्ष्य के कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। पीठ ने याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ता को इसे वापस लेने को कहा है। इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी।
ये है मामला
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए दो जून को पुलिस मथुरा के जवाहर बाग की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए पहुंची। माना जाता है कि यह अतिक्रमण आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही संगठन के कार्यकर्ताओं ने किया था। पुलिस ने जब अवैध अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने की कोशिश की तो हिंसा भड़क उठी। अतिक्रमणकारियों और पुलिस के बीच टकराव में एक पुलिस अधीक्षक और एक थाना प्रभारी सहित 29 लोगों की जान चली गई थी।
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