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पीएम मोदी पर नरम तो सीएम केजरी पर गरम शीला दीक्षित

शीला दीक्षित ने कहा पीएम मोदी का एडमिनिस्ट्रेशन आंकना मुश्किल होता है क्योंकि वो सरकार या देश में शीर्ष पर होते हैं।

पीएम मोदी पर नरम तो सीएम केजरी पर गरम शीला दीक्षित
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नई दिल्ली. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर नेता शीला दीक्षित लंबे समय के बाद जब मीडिया से मुखातिब हुई तो उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक-प्रशासनिक अनुभव से केंद्र और दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर स्पष्ट विचार सामने रखे। केंद्र यानि पीएम को लेकर शीला कुछ नरम नजर आयी तो सीएम के कामकाज पर उन्होंने आक्रामक तेवरों के साथ जवाब दिए।
मंगलवार को इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) में महिला पत्रकारों से मुलाकात के दौरान हरिभूमि द्वारा केंद्र के बीते दो वर्षों के कामकाज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासनिक नेतृत्व के आकलन को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में शीला दीक्षित ने नरम अंदाज में कुछ देर ठहरते हुए कहा कि पीएम का एडमिनिस्ट्रेशन आंकना मुश्किल होता है।
क्योंकि वो सरकार या देश में शीर्ष पर होते हैं। इसकी तुलना में सीएम के कामकाज का आकलन करना आसान होता है। जहां तक मोदी सरकार की बात है तो उसमें शब्द यानि अल्फाजों का बहुत अच्छा प्रयोग किया जाता है। पर जमीनी स्तर पर वो जो कह रहे हैं वो हो नहीं रहा है। चीजें ग्राउंड पर आनी चाहिए। नीचे बाकी प्रश्नों के जवाब दिए गए हैं।
सवाल- सीएम के प्रमुख सचिव राजेंद्र सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीतिक रूप से प्रायोजित है?
नहीं यह राजनीतिक रूप से प्रायोजित नहीं है। सीबीआई के पास जरूर कुछ न कुछ जानकारी होगी। ऐसे ही सीबीआई किसी के खिलाफ कुछ नहीं करती। यह मामला बीते करीब छह महीनों से चल रहा है। अगर यह राजनीतिक रुप से प्रायोजित होता तो पहले सीबीआई द्वारा यह कार्रवाई कर ली जाती। अब क्यों की गई। मैं राजेंद्र कुमार को जानती हूं वो हमारी सरकार के दौरान भी दिल्ली में थे। लेकिन उस दौरान मेरे पास उनकी कोई शिकायत नहीं आयी।
सवाल- टैंकर घोटाले में आम आदमी पार्टी आपका नाम भी ले रही है। इस पर आपका क्या कहना है?
जिस समय पर यह मामला सामने आया है। उससे साफ होता है कि यह राजनीतिक रूप से प्रायोजित है। इसकी टाइमिंग देखिए सब समझ जाएंगे।
सवाल- क्या यूपी में आपके नाम की चर्चा आपके ब्राrाण होने या कांग्रेस से नजदीजी की वजह से हो रही है?
मैं यूपी की बहू हूं। मेरी पैदाइश पंजाब में हुई। मेरा ख्याल है कि एक बहू होना ही पर्याप्त है। मैं हमेशा ही ससुराल जाती हूं। अगर औपचारिक रूप से होगा तो भी मैं जाऊंगी। जहां तक प्रियंका की बात है तो प्रियंका गांधी यूपी में एक जाना-माना चेहरा हैं। वो सही व्यक्ति हैं और हमारे लिए उपयोगी हैं।
सवाल- आप पार्टी की सरकार बनने के बाद दिल्ली में कुछ बदलाव नजर आ रहा है?
कुछ बदलाव नहीं आया है। परिवर्तन में कुछ कमी आयी है। बदलाव के लिए जरूरतें पूरी होनी चाहिए। लेकिन आप सरकार में अखबारों में विज्ञापन देखने को मिल रहे हैं। यह केवल घोषणाएं हैं लेकिन आपने अब तक क्या हासिल किया है। उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। जमीनी स्तर पर भी दिल्ली सरकार ने कुछ नहीं किया है। जरूरी खाद्य प्रदाथरें जैसे आलू, दाल और प्याज की कीमतों को लेकर कुछ चिंता होनी चाहिए। लेकिन इनकी कीमतों में कमी देखने को नहीं मिली। यह किस तरह का प्रशासन है, जिसमें कोई आकलन नहीं किया जाता।
सवाल- दिल्ली के सीएम ने राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए जनमत संग्रह कराने की बात कही है। क्या यह सही है?
उनकी यह घोषणा ब्रिटेन को देखकर की गई है। लेकिन जब हम संविधान को देखे तो उसमें दिल्ली को साफ तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है। जब आप दिल्ली की सत्ता में जाते हैं तो आपको इस ढांचे के बारे में पता होता है।
सवाल- एलजी और सीएम के बीच टकराव को कैसे देखती हैं?
एलजी के अधिकार क्षेत्र में दिल्ली की पुलिस और जमीन आती है और सीएम को अगर कोई काम करना है तो उसके लिए मिलकर काम करना होगा। पुलिस केंद्र में गृह मंत्रालय के तहत और जमीन शहरी विकास मंत्रालय के तहत आती हैं। इसलिए इन दोनों को साथ मिलकर काम करना ही पड़ेगा। शुरूआत के तीन-चार साल जब कांग्रेस दिल्ली की सत्ता पर थी। तब हमने भी केंद्र में बीजेपी सरकार के साथ मिलकर काम किया था। दिल्ली पूरे देश की राजधानी है। ऐसे में केंद्र नहीं चाहेगा कि इसकी रफ्तार थमे। हमने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। पर यह हुआ नहीं। दिल्ली की स्थिति को मध्य-प्रदेश और बिहार के समांतर नहीं आंका जा सकता। यहां दिल्ली की स्थिति झटकेदार बनी हुई है।
सवाल- राजनीति में संन्यास के बारे में आपका क्या कहना है?
यह किसी सरकारी या निजी नौकरी जैसा नहीं है। यहां 65 वर्ष या ऐसी कोई उम्र सीमा नहीं होती है। अगर आप कम उम्र से ही लोगों के बारे में सोचते हैं तो अच्छा है। नेताओं के लिए रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती है।

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