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अब निजी स्कूल नहीं वसूल सकेंगे मनचाही फीस

इस संबंध में प्राइवेट स्कूलों की रिव्यू पिटीशन को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

अब निजी स्कूल नहीं वसूल सकेंगे मनचाही फीस
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नई दिल्ली. सरकार से प्राप्त जमीन या सरकारी सुविधा प्राप्त कर रहे निजी स्कूल सरकार की अनुमति के बिना फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। इस संबंध में प्राइवेट स्कूलों की रिव्यू पिटीशन को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने अपने टिप्पणी में कहा कि सरकारी जमीन पर चल रहे प्राइवेट स्कूलों को अब जब भी फीस बढ़ानी होगी उन्हें दिल्ली सरकार से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। साथ ही प्राइवेट स्कूलों को अब ये भी बताना होगा कि वे कितने फीसदी फीस बढ़ाना चाहते हैं और क्यों? उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट कर कहा कि इस फैसले से प्राइवेट स्कूलों को आम लोगों के प्रति पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिल्ली सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूती मिलेगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार ने कहा कि फीस बढ़ोतरी को लेकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गठित अनिल देव सिंह कमेटी ने कहा था कि विशेष स्थितियों में प्राइवेट स्कूल अधिकतम 10 फीसदी तक फीस बढ़ा सकते हैं लेकिन ज्यादातर प्राइवेट स्कूल सामान्य स्थितियों में भी 10 फीसदी तक फीस वृद्धि करते आ रहे हैं।
इसके अलावा दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्ली उच्च न्यायालय में ये भी पक्ष रखा गया कि कई प्राइवेट स्कूल, डेल्ही स्कूल एजुकेशन एक्ट के सेक्शन 17 (3) की गलत व्याख्या करते हुए केवल मिड सेशन में ही फीस बढ़ाने से पहले दिल्ली सरकार से अनुमति लेते हैं जबकि 19 जनवरी, 2015 के दिल्ली हाई कोर्ट के जजमेंट के अनुसार प्राइवेट स्कूल जिन्हें सरकारी जमीन मिली है, जब भी फीस बढ़ाएंगे, दिल्ली सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के इस पक्ष को सही ठहराया है।
राजधानी में हर वर्ष करीब 2.5 लाख बच्चे 12वीं पास करते हैं। लेकिन इनमें से करीब 1.5 लाख बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली से बाहर या अन्य विकल्प की तलाश करनी पड़ती है। सरकार इन बच्चों को दिल्ली में ही बेहतर उच्च शिक्षा देने का प्रयास कर रही है। यह कहना है उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का। बुधवार को अंबेडकर विश्वविद्यालय के कर्मपुरा स्थित कैंपस का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार अंबेडकर विवि के कर्मपुरा कैंपस में स्नातक, पीएचडी, पीजी के साथ वोकेशनल और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू भी शुरू करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि इस कैंपस की भी जांच करवा लें।
उन्होंने कहा कि 200 विद्यार्थियों के साथ शुरू हुए इस विवि में 2019 तक 2200 बच्चों को शिक्षा देने का लक्ष्य है। साथ ही मल्टी कैंपस विवि के माध्यम से पूरे शहर में बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं। अभी यह कश्मीरी गेट स्थित कैंपस में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रमों सहित 40 कोर्स प्रदान कर रहा है। हमारी कोशिश है कि 2020 तक रोहिणी और धीरपुर में भी नए कैंपस शुरू हो जाए। विवि सामाजिक विज्ञान और मानविकी शिक्षण पर जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अधिक बच्चों को शिक्षा देने हुए गुणवत्ता को भी बनाए रखना है।
मोहल्ला क्लीनिक के लिए जगह की समस्या को देखते हुए सरकार ने स्कूलों में भी मोहल्ला क्लीनिक खोलने का निर्णय लिया है। फैसले के तहत दिल्ली के चयनित 250 सरकारी स्कूलों में मोहल्ला क्लीनिक खोले जाएंगे। इन मोहल्ला क्लीनिक के पहले दो घंटे स्कूली बच्चों के लिए आरक्षित रहेगा, जबकि अन्य समय सामान्य लोगों के लिए होगा। इस संबंध में शहरी विकास विभाग के अधिकारी ने बताया कि सरकार राजधानी में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के लिए प्रयास कर रही है। इसके तहत दिसंबर 2016 तक दिल्ली में एक हजार मोहल्ला क्लीनिक खोलने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन जगह की समस्या के कारण इसे अमलीजामा पहनाने में समस्या आ रही है।
उन्होंने कहा कि अभी तक खोले गए अधिकतर मोहल्ला क्लीनिकों के लिए जगह किराये पर ली गई या पहले से जहां डिस्पेंसरी चल रही थी वहीं उसे अपग्रेड कर मोहल्ला क्लीनिक बनाया गया है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में मोहल्ला क्लीनिक खोलने से बच्चों के स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सुधार आएगा। समय समय पर उनकी मेडिकल जांच भी हो सकेगी जिससे भविष्य में बड़ी बीमारियों का खतरा टल सकेगा।
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