पहली बार सरकारी स्कूलों में किया गया ''मेगा पीटीएम'' आयोजन
110 सरकारी स्कूलों मे टीचर-पेरेंट्स मीटिंग का शिक्षा विभाग की ओर से आयोजन किया गया।

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haribhoomi.comCreated On: 31 July 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पहली बार शनिवार को पैरेंट्स टीचर मीटिंग (पीटीएम) का आयोजन किया गया। मीटिंग को लेकर अभिभावकों और छात्रों में काफी उत्साह था।
पीटीएम में अभिभावकों ने बच्चों की पढ़ाई के दौरान आने वाली दिक्कतों को शिक्षकों के समक्ष रखा। वहीं शिक्षकों ने पैरेंट्स को बच्चों की पढ़ाई और व्यवहार से जुड़ी खूबियों और खामियों के बारे में बताया। सरकार की पहल से आयोजित पीटीएम में अभिभावकों व शिक्षकों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई ताकि बच्चों की खामियां सुधारी जा सके। अभिभावकों ने सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए हर माह एक बैठक आयोजित करने की मांग की है।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा इस पहल के बेहतर परिणाम सामने आते नजर आ रहे हैं। इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। सरकारी और निजी स्कूलों के बीच का अंतर कम होगा। सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली सरकार ने दो मेगा पीटीएम के लिए बजट अलॉट किया है। सिविल लाइंस के आरपीवीवी स्कूल आए सिसोदिया ने स्कूल के तीन एलुमनी से मुलाकात की।
एलुमनी ने सिसोदिया को बताया कि वे 1998 बैच के छात्र हैं। अपने स्कूली दिनों की याद ताजा करने यहां आए हैं। अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए स्थाई शिक्षक होने चाहिए। बार-बार शिक्षक बदलना भी शिक्षा के लिए तकनीकी दिक्कत पैदा कर रहा है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के द्वारा सरकारी स्कूलों में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग (पीटीएम) को क्रांतिकारी युवा संगठन ने प्रचार जुटाने का तरीका बताया। संगठन की ओर से आप पार्टी की कड़ी निंदा की गई है। उनका कहना है कि इस तरह की मीटिंग समय-समय पर सभी स्कूलों में होती रहती है। इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन सरकार ने इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया है।
जिला शिक्षा दक्षिण-पश्चिम जोन के सभी 110 सरकारी स्कूलों मे टीचर-पेरेंट्स मीटिंग का शिक्षा विभाग की ओर से आयोजन किया गया। जिसमें पहले से तय कार्यक्रम व सरकारी आदेश के अनुरुप स्कूलों में मेगा पीटीएम का आयोजन किया गया। लेकिन इस मीटिंग में अधिकतर स्कूलों में छात्रों की चिंता छोड़ अध्यापक अपनी ही चिंता में व्यस्त दिखाई दिए। इतना ही नहीं सरकारी डर भी शिक्षकों व अधिकारियों के चेहरों पर साफ झलक रहा था जिसकारण पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में मेल मिलाप कम राजनीतिक रंग ज्यादा दिखाई दे रहा था। जगह-जगह अभिभावकों को शिक्षा मंत्री के संदेश के पर्चे थमा कर ही शिक्षक अपने दायित्वों की पूर्ति करते दिखाई दे रहे थे। हालांकि कुछ स्कूलों मे इस मीटिंग के उद्देश्य को लेकर भारी भरकम कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था।
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