नहीं कहा कि आरएसएस ने गांधी को मारा: राहुल
सुप्रीम कोर्ट में पेंच फंसा तो लिया यू-टर्न, चल रहा मानहानि का केस

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haribhoomi.comCreated On: 25 Aug 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने यू-टर्न लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन्होंने कभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को महात्मा गांधी का हत्यारा नहीं कहा। राहुल गांधी की तरफ से वकालत करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में ये दलील दी कि राहुल गांधी ने ऐसा कभी नहीं कहा, यह तो हमेशा से आम लोग ऐसा कहते रहे हैं।
वर्ष 2014 में महाराष्ट्र के विस चुनाव में राहुल गांधी ने संघ पर निशाना साधते हुए ठाणे की एक रैली में कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या संघ के लोगों ने की और आज ये लोग उनकी बात करते हैं। ये तो वे हैं जिन्होंने सरदार पटेल और गांधी जी का विरोध किया था।
राहुल के इस बयान के बाद हंगामा मचा था। संघ के एक कार्यकर्ता माने जाने वाले महादेव कुंटे ने कांग्रेस उपाध्यक्ष पर संघ की ओर से मानहानि का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में दायर किया था। तब राहुल गांधी ने अपना बयान वापस लेने और माफी मांगने से इनकार कर दिया था। उनके वकील कपिल सिब्बल को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिल जाएगी, पर ऐसा हो न सका।
वहीं खबरें यह भी आ रही है कि राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में कोर्ट से राहत भी मिल सकती है और मुकदमा रद्द हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मानते हैं कि राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए RSS संस्थान को हत्यारा नहीं कहा था, सिर्फ जुड़े लोगों के लिए कहा था। ऐसे में RSS के लिए मानहानि वाली बात नहीं लगती। याचिकाकर्ता ने वक्त मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर को करेगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को मारा, RSS के लोगों ने गांधीजी को मारा, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है। जब आप किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बोलते हैं तो सतर्क रहना चाहिए। आप किसी की सामूहिक निंदा नहीं कर सकते। हम सिर्फ ये जांच कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो बयान दिए क्या वह मानहानि के दायरे में हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा था कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भिवंडी कोर्ट के मामले की पुलिस से रिपोर्ट मांगने पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि मानहानि के मामलों में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
वर्ष 2014 में महाराष्ट्र के विस चुनाव में राहुल गांधी ने संघ पर निशाना साधते हुए ठाणे की एक रैली में कहा था कि महात्मा गांधी की हत्या संघ के लोगों ने की और आज ये लोग उनकी बात करते हैं। ये तो वे हैं जिन्होंने सरदार पटेल और गांधी जी का विरोध किया था।
राहुल के इस बयान के बाद हंगामा मचा था। संघ के एक कार्यकर्ता माने जाने वाले महादेव कुंटे ने कांग्रेस उपाध्यक्ष पर संघ की ओर से मानहानि का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में दायर किया था। तब राहुल गांधी ने अपना बयान वापस लेने और माफी मांगने से इनकार कर दिया था। उनके वकील कपिल सिब्बल को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिल जाएगी, पर ऐसा हो न सका।
वहीं खबरें यह भी आ रही है कि राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में कोर्ट से राहत भी मिल सकती है और मुकदमा रद्द हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मानते हैं कि राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के लिए RSS संस्थान को हत्यारा नहीं कहा था, सिर्फ जुड़े लोगों के लिए कहा था। ऐसे में RSS के लिए मानहानि वाली बात नहीं लगती। याचिकाकर्ता ने वक्त मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर को करेगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को मारा, RSS के लोगों ने गांधीजी को मारा, इन दोनों बातों में बहुत फर्क है। जब आप किसी व्यक्ति विशेष के बारे में बोलते हैं तो सतर्क रहना चाहिए। आप किसी की सामूहिक निंदा नहीं कर सकते। हम सिर्फ ये जांच कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने जो बयान दिए क्या वह मानहानि के दायरे में हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा था कि आपको केस में ट्रायल फेस करना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भिवंडी कोर्ट के मामले की पुलिस से रिपोर्ट मांगने पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि मानहानि के मामलों में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
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