JNU इलेक्शन: रातभर चली प्रेसिडेंशियल डिबेट में आलम ने मारी बाजी
आलम ने कहा कि वामपंथ ने मुझे आजादी का ख्वाब दिखाया लेकिन बाद में बताया कि इसके बारे में सोचना गलत है।

जेएनयूएसयू चुनावों के पहले निर्दलीय उम्मीदवार एम डी फारूक आलम रात भर चली प्रेसिडेंशियल डिबेट में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।
अपने बेलाग लपेट संबोधन से उन्होंने श्रोताओं को बांधे रखा और वैचारिक लड़ाई में शामिल छात्र संगठनों पर जमकर निशाना साधा।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनाव कल होगा । छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए मुकाबले में सात उम्मीदवार हैं। अध्यक्ष सीट पर फिलहाल आइसा का कब्जा है जिसका एसएफआई से गठबंधन है।
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बाप्सा (बिरसा आंबेडकर फूले स्टूडेंट एसोसिएशन) की शबाना अली , एबीवीपी से निधि त्रिपाठी और एनएसयूआई से वृषनिका सिंह के भाषणों के बाद आलम की बारी करीब 11 बजे के बाद आयी।
छात्रों के सामने पेश मुद्दों के लिए उन्होंने कोई समाधान तो नहीं सुझाया लेकिन विभिन्न स्तरों पर संगठनों की नाकामी पर निशाना साधा और दिव्यांगों की कठिनाइयों को नजरंदाज करने के लिए वामपंथी समूहों पर हमला करने से नहीं चूके।
आलम ने कहा कि वामपंथ ने मुझे आजादी का ख्वाब दिखाया लेकिन बाद में बताया गया कि इसके बारे में सोचना गलत है। बाप्सा ने जेएनयूएसयू मुहिम में शकुनी की भूमिका अदा की। एबीवीपी अपनी गुंडई संस्कृति और राष्ट्रवाद थोपने के लिए जानी जाती है।
भाषण में दलों पर जबरदस्त तरीके से उन्होंने कटाक्ष किया जिसपर श्रोताओं की तरफ से भी उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी गयी। विश्वविद्यालय के झेलम लॉन में ये डिबेट कल रात नौ बजे शुरू हुयी और दो बजे रात तक चली।
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