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अनोखी पहल: दिल्ली में खुला ''मां के दूध'' का पहला बैंक

फोर्टिस ने ब्रेस्ट मिल्क फाउंडेशन के साथ मिलकर इस बैंक की शुरुआत की है।

अनोखी पहल: दिल्ली में खुला मां के दूध का पहला बैंक
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नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी के ग्रेटर कैलाश स्थित फोर्टिस ला फेम अस्पताल ने स्वयं सेवी संस्था ब्रेस्ट मिल्क फाउंडेशन (बीएमएफ) के साथ मिलकर दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 'मां के दूध' का पहला बैंक शुरू किया है। 'अमारा' नाम के इस 'ह्यूमैन मिल्क बैंक' का आज औपचारिक उद्घाटन किया गया जबकि पिछले 20 दिन से यहां दूध एकत्र करने तथा जरूरतमंद बच्चों में बांटने का काम चल रहा है। अस्पातल में ही दूध बैंक बनाया गया है।
बच्चे का पोषण
इस बैंक की सुविधा लेने और योगदान देने वालों में से एक जया ने बताया कि जब उनका बच्चा हुआ था तो पहले चार-पांच दिन उनके बहुत कम दूध उतरा। ऐसे में 'अमारा' की मदद से उनके बच्चे का पोषण हुआ। लेकिन जब बाद में उनके ज्यादा दूध उतरने लगा ताे उन्होंने सोचा क्यों वह भी दूध दान करके किसी और के बच्चे की जान बचाएं, जैसे किसी और के दूध से उनके बच्चे की जान बची है। अस्पताल के नवजात शिशु विभाग के निदेशक डॉ. रघुराम मलाया ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में दूध दान करने की इच्छुक कोई भी मां हेल्पलाइन नंबर 9999035600 पर या एएमएएआरएडॉटओआरजीडॉटइन पर संपर्क करके अपना पंजीकरण करवा सकती हैं।
स्वास्थ्य जांच
पंजीकरण से पहले उनकी स्वास्थ्य जांच की जाती है। इसके बाद उन्हें नि:शुल्क पंपिंग मशीन दी जाती है जिसकी मदद से घर पर ही दूध निकालकर दिए गए बोतल में एकत्र कर सकती हैं। बीएमएफ की मदद से घरों से दूध एकत्र कर अमारा के बैंक में पहले इसकी जांच की जाती है और फिर उपचारित करके इसे 130 मिलिलीटर की बोतलों में पैक करके कम तापमान पर संग्रहित किया जाता है। एक बोतल की कीमत 150 से 200 रुपए के बीच आएगी जो चार बच्चों की एक दिन की खुराक होगी।
मुंबई के धारावी में खुला था पहला दूध बैंक
देश में 'माँ के दूध' का पहला बैंक नवंबर 1989 में मुंबई के धारवी इलाके में खुला था। इस समय मुंबई, पुणे, राजस्थान, चेन्नई तथा हैदराबाद में तकरीबन 20 ऐसे बैंक हैं जिनमें अधिकतर सरकारी अस्पतालों से संबद्ध हैं। डाॅ. मलाया ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में कम से कम चार-पांच ऐसे बैंकों की जरूरत है, लेकिन इसमें ध्यान रखने की बात यह है कि गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 'अमारा' के तहत आपूर्ति की जाने वाली बोतलों पर पोषक तत्त्वों की मात्रा भी लिखी होती है जिससे डॉक्टरों को भी पता रहे कि बच्चे को कितना दूध देना है।
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