कोलेजियम सिस्टम पर ड्राफ्ट बनाने से केंद्र सरकार ने किया इंकार
अदालत ने कोलेजियम सिस्टहम को बेहतर करने के लिए देश की जनता से सुझाव मांगे थे।

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नई दिल्ली. जजों की नियुक्ति प्रक्रिया और कोलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तकरार फिलहाल खत्म होती नजर नहीं आ रही है। गुरुवार को केंद्र ने उस प्रक्रिया का मसौदा ज्ञापन पत्र बनाने से साफ इनकार कर दिया, जिसका पालन सर्वोच्च अदालत कोलेजियम उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए करेगा।
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आपको बता दें, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोलेजियम सिस्टम में सुधार के मुद्दे पर सभी सुझावों पर विचार करने के बाद उच्चतर न्यायपालिका में जजों की भावी नियुक्तियों के लिए सरकार को एक मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर (एमओपी) का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। हाल ही उच्चतर न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम सिस्टम को समाप्त करने का सरकार का प्रयास विफल हो गया था।
गुरुवार को कोर्ट के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'सरकार जजों की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर का मसौदा तैयार नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह केंद्र को मौजूदा कोलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए जरूरी निर्देश दे। हम ऐसी कोई परिस्थिति नहीं चाहते जहां न्यायपालिका सरकार द्वारा दिए गए सुझावों को पुनरीक्षित करें।'
इससे पहले शीर्ष अदालत के बुधवार को दिए गए निर्देश का वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम ने जोरदार विरोध किया था। उन्होंने कहा कि सुझाव का स्वागत है, लेकिन कार्यपालिका को मसौदा मेमोरेंडम भी तैयार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर का मसौदा तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी सरकार को सौंपी है। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम और 99वें संविधान संशोधन को निरस्त करने वाले फैसले का हवाला दिया और कहा कि उनकी आपत्ति का मुख्य कारण न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करने का प्रयास है और इसलिए कार्यपालिका को अब भूमिका नहीं दी जा सकती।
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