HBD मुंशी प्रेमचंद्रः वकील बनना चाहते थे, बन गए लेखक
मुंशी प्रेमचंद्र का 31 जुलाई यानि आज 136 वीं जयंती है।

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haribhoomi.comCreated On: 31 July 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. कलम के जादूगर और महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद्र का 31 जुलाई यानि आज 136 वीं जयंती है। 31 जुलाई 1880 को बनारस में जन्में मुंशी प्रेमचंद्र लेखक ही नहीं बल्कि साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार भी थे। जिन्होने हिन्दी की काया ही पलट दी। हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीय भाषा है और मुंशी प्रेमचंद्र ने इसे हर दिन एक नया रुप दिया है। उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हिन्दी को एक सहज रुप प्रदान किया है।
13 वर्ष में साहित्यकार का सफर
प्रेमचंद्र बचपन से ही साहित्य पढ़ने का बहुत शौकीन थे। इन्होने कम उम्र में ही साहित्य पढ़ना शुरु कर दिया था। साहित्य पढ़ने का इनके अंदर इतना जूनून था कि दो से तीन साल के अंदर ही कई सारे साहित्य को पढ़ चुके थे। 13 वर्ष की उम्र में जहां बच्चे नासमक्ष होते हैं वहीं प्रेमचंद्र ने कहानियां लिखना शुरु कर दिया था।
बनना चाहता थे वकील, बन गए लेखक
प्रेमचंद्र बचपन से ही वकील बनना चाहते थे, लेकिन पैसों की कमी ने उन्हे पूरे तरीके से तोड़कर रख दिया। वे अपने सपनों को पूरा नही कर पाए। उनके पास पैसों की इतनी तंगी थी कि वे चाह कर भी वकालत की पढ़ाई नहीं कर पाए। हालांकि जितने पैसे होते उन्हे वे नोवेल खरीदने में लगाते। नोवेल पढ़ने के शौक ने इन्हे लेखक, कहानिकार उपन्यासकार की पदवी दे दी।
14 वर्ष की आयु में ही शादी
मुंशी प्रेमचंद्र बनारस के एक लम्ही गांव में रहते थे। प्रेमचंद्र का पूरा नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। मुंशी प्रेमचंद्र कम आयु में ही विवाह के बंधन में बंध गए।
कोट बेचकर चलाया जीवन
प्रेमचंद्र की आर्शिक स्थिति का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि पैसों की कमी की वजह से इन्हे अपने कोट बेचने पड़े और किताबों को बेचकर जीवन यापन किया। एक वक्त ऐसा आया जब प्रेमचंद्र अपनी सारी किताबों को बेचने पर मजबूर हो गए थे। तभी एक स्कूल के अध्यापक ने उन्हे स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्त कर लिया था। तब से इस महान लेखक के जीवन में सुधार हुआ।
रचनाएं
कलम के जादूगर ने अपने कलम से सेवासदन, गोदान, गबन, कर्मभूमी, मंगलसूत्र जैसे कई उपन्यास को जन्म दिया। प्रेमचंद्र अब तक 300 से ज्यादा कहानियां लिख चुकें है। जिनमें ईदगाह, आखिरी तोहफा, अनाथ लड़की, अन्धेर, अमृत ऐसी ही कहानियां लिखी है।
साभार- द फेमस पीपुल, जागरण
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