पूर्व पत्नी से दुष्कर्म के मामले में आरोपी बरी
दुष्कर्म के आरोपों के सर्मथन में कोई चिकित्सकीय साक्ष्य मौजूद नहीं है।

न्यायाधीश ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज कराने में एक या दो दिनों की देरी मामले में तथ्य और परिस्थिति के हिसाब से उचित, तार्किक और वाजिब हो सकती है। हालांकि, मौजूदा मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने में करीब तीन साल की देरी हुई है।
अदालत का यह फैसला र्जमन महिला की शिकायत पर आया जिन्होंने आरोप लगाया कि वह 2001 में भारत आयीं थी और हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला में एक होटल में आरोपी से मिलीं और 2005 में दोनों ने शादी कर ली।
शिकायत में कहा गया कि हालांकि 2007 में उनका तलाक हो गया लेकिन सितंबर 2012 में वे फिर मिले और आरोपी ने उनकी इच्छा के खिलाफ इस वादे के साथ शारीरिक संबंध बनाए कि वह फिर शादी करेगा लेकिन बाद में मुकर गया।
महिला की शिकायत के आधार पर 2015 में धारा 376 (दुष्कर्म) और 420 (जालसाजी) के तहत एक मामला दर्ज किया गया। अदालत ने धारा 376 के तहत उन्हें आरोपों से बरी कर दिया लेकिन जालसाजी के आरोपों में मुकदमे के लिए दूसरी मजिस्ट्रेटी अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया।
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