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रायपुर से अम्बिकापुर-बलरामपुर के लिए पैदल निकल पड़ा है मजदूरों का जत्था, बोले- हौसला बुलंद है मंजिल जरूर मिलेगी

आज छत्तीसगढ़ की न्यायाधानी बिलासपुर में देर शाम हमने एक मजदूरों के ऐसे जत्थे को पैदल जाते हुआ देखा, जो कि कोरोना वायरस की महामारी के प्रभाव होने के कारण सार्वजानिक वाहन साधनों के अभाव में घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं.

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बिलासपुर. देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ राज्य भी उन राज्यों की तरह अब अछुता नहीं रह गया है! जहाँ के मजदूरों को अपने घर की लम्बी दुरी तय कर पैदल ही मंजिल में पहुँचने के लिए निकलना पडा है...! दरअसल आज छत्तीसगढ़ की न्यायाधानी बिलासपुर में देर शाम हमने एक मजदूरों के ऐसे जत्थे को पैदल जाते हुआ देखा, जो कि कोरोना वायरस की महामारी के प्रभाव होने के कारण सार्वजानिक वाहन साधनों के अभाव में घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं.

इन मजदूरों से जब हमने शहर के नेहरु चौक पर सवाल किया कि भाईयों आप सभी अपने हाथों में सामान का थैला लिए हुए आखिर पैदल क्यों जा रहें हो... जिस पर उन्होंने जवाब में बताया कि हम सभी रायपुर के बिरगांव स्थित एक निजी फैक्टी के मजदुर है... और फैक्ट्रियां बंद होने के कारण हमे वहां से बाहर निकाल दिया गया है! ऐसे में अब सभी मजदूरों के लिए घर जाना एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है... लिहाजा हम सभी शनिवार की देर शाम पैदल ही रायपुर के बिरगांव से निकले हुए हैं.

आज रविवार की रात 8 बजे बिलासपुर पहुंचे हैं, लेकिन यहाँ भी कोई सुविधा नहीं मिली और प्रशासन ने भी कोई मदद नहीं किया! लेकिन इस उम्मीद में हम बिलासपुर पहुँच गए कि यहाँ जरुर हमे कोई मदद मिलेगी, परन्तु हमे मायूस ही होना पड़ा... इसलिए हमने अब ठान लिया है कि अब हम कहीं नहीं रुकेंगे और जिस तरह रायपुर से बिलासपुर पहुंचे है, ठीक उसी तरह अब अम्बिकापुर व बलरामपुर पहुंचेगे... इस दौरान सभी मजदूर के चेहरे पर थकान पैदल चल-चलकर भूख-प्यास से बेबस नज़र आ रहें थे... और उनके माथे पर मुशीबत का पहाड़ टूटने से बेसहारा भी लग रहें थें. वही हमसे बातचीत के जब वे अपने मंजिल के लिए आगे बढ़ रहे थे, तब एक मजदूर ने कहा कि हौसला अगर बुलंद हो तो मंजिल जरुर मिलेगी.

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