जरुरतमंदों के लिए तत्पर है सिक्ख समाज, रायपुर के सभी गुरुद्वारों में आम लंगर
लॉकडाउन के दौरान भोजन, राशन आदि बांट रहे सिक्ख समाज के प्रतिनिधि, पढ़िए पूरी खबर-

रायपुर। देश में संपूर्ण लॉकडाउन को आज 16 दिन पूरे हो चुके हैं। शुरू के तीन दिन छोड़, उसके बाद गरीबों तक भोजन, राशन और जरुरत की अन्य सामाग्रियां पहुंचाने का बीड़ा राजधानी में सिख समाज ने भी उठाया। सरदार गुरुचरण सिंह होरा के संयोजन में निरंतर 13 दिनों से राजधानी के हर हिस्से में निवासरत गरीबों, जरुरतमंदों और समय की मार झेल रहे लोगों को राहत पहुंचाने का क्रम निरंतर जारी है। सेवाकार्य में सरदार गुरुचरण सिंह होरा और उनके संपर्क में आने वाले सिख समाज के लोगों के साथ ही कई स्वयं सेवी संस्थाएं कदमताल करती नजर आ रही हैं। 28 मार्च को एक हजार पैकेट भोजन के साथ शुरू हुआ यह अभियान अब सतत प्रक्रिया का हिस्सा बन चुका है।
प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक सरदार गुरुचरण सिंह होरा, स्वयं सेवी संस्था आशाएं, आशा की किरण, दशमेश सेवा सोसायटी, छग सिख फोरम, छग सिख संगठन सहित अन्य कई मित्रगण राजधानी में भोजन, राशन सामाग्री और अन्य जरुरत के सामान लेकर दौड़ते नजर आते हैं।
लॉक डाउन में जहां लोग काम-धंधे के नुकसान का आकलन करने में जुटे हैं, तो दूसरी तरफ सिख समाज के ये सभी कर्णधार वक्त और हालात के मारे लोगों के लिए फिक्रमंद नजर आते हैं। इसके साथ सरदार गुरुचरण सिंह होरा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर प्रदेशभर के गुरुद्वारों में आग्रहपूर्वक निःशुल्क लंगर की भी व्यवस्था कर रखी है, जिससे लोगों को भूखे नहीं रहना पड़ रहा है।
इस कार्य में गुरुद्वारा प्रबंधन के लोग भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। लगातार 13 दिनों से जहां राजधानी के सभी गुरुद्वारों में आम लंगर की व्यवस्था कर दी गई है, वहीं प्रदेश के अन्य जिलों व शहरों में संचालित गुरुद्वारों में भी ऐसे ही इंतजमात किए गए हैं।
सरदार गुरुचरण सिंह होरा का कहना है कि आज देश और प्रदेश में संकट की घड़ी आई है। इस वक्त प्रदेश का हर व्यक्ति उनके अपने घर का है, सगा है और उसे भूख लगे, किसी चीज की आवश्यकता है, ऐसे मे सक्षम होते हुए भी यदि उसकी मदद नहीं कर पाए, तो फिर कैसी इंसानियत। इसलिए आज जरुरत के वक्त पर खर्च और दूसरों के सहयोग की परवाह किए बगैर यह कार्य निरंतर जारी है। ईश्वर का करम है, इसमें अभी तक ना तो कोई बाधा आई है और विश्वास है कि आगे भी नहीं आएगी।