रमन सिंह बोले- 'बस्तर से जा रहे मजदूर लेकिन वापस पहुंच रही सिर्फ लाशें'
वार्ता के दौरान रमन सिंह ने बस्तर के मजदूरों के लिए की चिंता जाहिर और सरकार का दिया ये सुझाव। पढ़िए पूरी खबर-

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान बस्तर के मजदूरों के प्रति चिंता जाहिर करते हुए एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि- 'बस्तर से लोग मजदूरी करने बाहर जा रहे हैं लेकिन वापस सिर्फ लाशें पहुंच रही हैं। सैकड़ों मौतों को रोकना है तो बस्तर के लिए कार्ययोजना बनानी होगी।'
डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश सरकार और बस्तर के प्रभारी मंत्री से आग्रह किया है कि कार्ययोजना बनाकर काम करें और मजदूरों को बचाने के लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाये।
उन्होंने कहा कि- 'छत्तीसगढ़ का सबसे संवेदनशील विषय है बस्तर के मजदूर। लॉकडाउन की इससे पीड़ादायक स्थिति क्या हो सकती है, कि तेलंगाना से 14 साल की बच्ची जमलो मड़कामी 100 किमी पैदल चलकर दम तोड़ देती है। बस्तर के 7 जिलों से 40 से 50 हजार मजदूर अभी भी वहां फंसे हुए है। सारे मजदूर तेलंगाना, उड़ीसा और महाराष्ट्र जाते हैं। लॉकडाउन की वजह से उन्हें ठेकेदारों ने भगा दिया। 2 हजार से ज्यादा मजदूर दंतेवाड़ा और अन्य जिलों की सीमा में आ गए हैं और हजारों की संख्या में इन राज्यों में मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं।
बस्तर की घटना पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि- 'बस्तर के सीधे-साधे मजदूर परेशान हैं। जमलो मड़कामी के साथी 2 लोगों की भी मौत हुई है। वहां के मजदूर त्रासदी झेल रहे हैं। मौत के 48 घंटो बाद पोस्टमार्टम किया जा रहा है, जिसमें बच्ची की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव बताया गया है... कौन सा डॉक्टर 48 घंटे बाद पोस्टमार्टम करता है?
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि- 'सरकार से और अधिकारियों से आग्रह करना चाहता हूँ कि मजदूर जहां है वहीं उन्हें रोके उनके खाते में 1 हजार रुपये भेजा जाये। सरकार एक हाईपावर कमेटी बनाए, जिसमें वहां के जनप्रतिनिधि हो या स्थानीय अधिकारी हो रोज इनकी जांच-पड़ताल कर सके।
बड़े-बड़े आश्रम, छात्रावासो में रखा जाए
उन्होंने कहा है कि-'सबको चिन्हांकित करके उनके भोजन और राशन की व्यवस्था की जाये। डॉ. रमन सिंह ने बस्तर के लिए डॉक्टरों की मोबाइल टीम बनाने की मांग की है। 7 जिलो में सबकी जांच होनी चाहिए।