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घेरे में जूते-चप्पल रखकर बने भीड़ का हिस्सा, बैंक के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर उड़ी धज्जियां

बरपाली सहकारी बैंक में किसान नहीं कर रहे सोशल डिस्टेंस का पालन। पढ़िए पूरी खबर-

घेरे में जूते-चप्पल रखकर बने भीड़ का हिस्सा, बैंक के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर उड़ी धज्जियां
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कोरबा। वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम के इरादे से सरकार ने लॉकडाउन जारी रखा है। हालांकि चौथे चरण में कई तरह की सहूलियत दी गई है। इसके बावजूद सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा का ध्यान रखा जाना अनिवार्य किया गया है लेकिन लोग सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला कोरबा से सामने आया है, जहां धान की बोनस राशि लेने आये ग्रामीणों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन औपचारिकता के लिए बस किया।

यह मामला बरपाली के सहकारी बैंक का है, जहां धान बोनस राशि लेने किसान पहुंचे। बैंक में सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के लिए घेरे बनाये गये हैं। लेकिन उन्होंने घेरे में अपने जूते चप्पल और पासबुक रह दिए और दूसरी जगह भीड़ का हिस्सा बने रहे।

दरअसल 1 दिसंबर से कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन 27 समितियों सहित 41 उपार्जन केंद्रों में किया गया था किसके लिए घोषणा की गई थी कि किसानों को 2,500 रूपये की राशि दी जाएगी बाद में कई तरह के कारण बताते हुए 16 से 50 प्रति क्विंटल की दर से राशि का भुगतान किया गया हाल में ही घोषणा की गई है कि किसान न्याय योजना के अंतर्गत किसानों को धान का बोनस दिया जाएगा। चार किस्तों में यह राशि किसानों को दी जानी है। पहले किश्त सहकारी बैंक सरकारी बैंक को जारी करने के साथ यहां किसानों की भीड़ लगना शुरू हो गई है।

बोनस की राशि लेने पहुंचे ग्रामीण बैंक परिसर में बनाए गए 1 मीटर की दूरी के घेरे में अपने जूते चप्पल और पासबुक को रख रहे हैं। पूछने पर किसानों ने तर्क दिया कि गर्मी ज्यादा है ऐसे में वे बहुत देर तक खड़े नहीं रह सकते। कहीं उनका नंबर ना हो जाए, इसलिए वह प्रमाण के रूप में अपना सामान यहां पर रख रहे हैं।

सहकारी बैंक पाली के शाखा प्रबंधक राजेश गुप्ता ने स्पष्ट किया कि बैंक ने बोनस की राशि का भुगतान करने के लिए एक बार में 5 किसानों को ही आने की अनुमति दी है। इसके लिए उन्हें टोकन दिए जा रहे हैं इस बारे में सूचनाएं भी दी जाती हैं फिर भी किसान भ्रम के शिकार में हैं। सोशल डिस्टेंस का परिपालन नियमों के अंतर्गत ही करना होगा।

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