ओपी बोले- पीएम मोदी व डॉ.रमन के कामकाज से हूं प्रभावित
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने भाजपा प्रवेश के बाद हरिभूमि से चर्चा में कहा है कि उन्होंने अचानक कलेक्टरी नहीं छोड़ी।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, रायपुरCreated On: 28 Aug 2018 11:20 PM GMT
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने भाजपा प्रवेश के बाद हरिभूमि से चर्चा में कहा है कि उन्होंने अचानक कलेक्टरी नहीं छोड़ी।
कलेक्टर पद से इस्तीफा देने के पहले महीनों तक राजनीति में प्रवेश के लिए मंथन किया है। इसके बाद इस्तीफा देकर राजनीति में इसलिए आया हूं कि आदिवासियों,दलितों, गरीबों के लिए काम कर सकूं।
श्री चौधरी ने कहा कि देश में इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर काम चल रहा है। देश तरक्की की राह पर है। इधर छत्तीसगढ़ में शासकीय सेवा के दौरान 13 साल से मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के नेतृत्व में सरकार और भाजपा का काम करीब से देखने का अवसर मिला है।
इस कामकाज से प्रभावित होकर जनसेवा करने के इरादे से राजनीति में प्रवेश किया है। बस्तर में काम करते हुए मैने आदिवासी जनजीवन के निकटता के साथ देखा है। इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी गरीब खासकर अंतिम पंक्ति के लोगों के लिए काम करने की इच्छा मुझे राजनीति में ले आई है।
राजनीति के कठिन दांवपेंच के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैने बचपन से संघर्ष और कठिनाइयां देखी हैं। आठ साल का रहा तो पिताजी छोड़कर चले गए। चौथी पास मां ने गांव के सरकारी स्कूल में हम तीन भाई-बहनों को पढ़ाया। संघर्ष करते हुए मैं बायंग जैसे छोटे से गांव से भिलाई पहुंचा और वहां से फिर यूपीएससी की कोचिंग करने दिल्ली गया।
जिंदगी में कदम-कदम पर मैंने संघर्ष देखा है उससे गुजरा हूं। मुझे बचपन से ही विपरीत हालात में जीने की आदत हो गई थी। इसका मुझे लाभ दिल्ली में मिला, जब अभावों और विभिन्न कठिनाइयों के बाद भी मैं यूपीएससी सलेक्ट होने में सफल रहा।
आलोचाओं का डर नहीं
राजनीति में आलोचनाएं भी काफी होती है इसका मुकाबला कैसे करेंगे। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में आपको आलोचनाएं सहने के लिए तैयार रहना होता है। लोगों की सेवा के लिए राजनीति में आया हूं, आलोचनाओं के लिए तैयार हूं। मगर मेरा मानना है कि बिन वजह आरोप-प्रत्यारोप की बजाए मुद्दों पर बात होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आलोचनाएं होंगी तो वे तथ्यों के साथ उसका जवाब देंगे। मुझे किसी आलोचना का डर नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा मत है कि राजनीति में भी भावनाओं और संवेदनाओं का अपना महत्व है। यदि संवेदनशील व्यक्ति अगर कोई निर्णय करेगा, तो उसमें संवेदना दिखेगी। लोगों का समग्र हित दिखेगा। मैं तो संवेदनाओं के साथ ही काम करूंगा। इसमें मुझे कामयाबी मिलेगी ऐसी उम्मीद है।
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