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कोरोना : चावल देकर पैसे वसूल रही सरकार, हर्षिता पांडेय ने लगाया आरोप

राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिखकर रोक लगाने की मांग की है। पढ़िए पूरी खबर-

कोरोना : चावल देकर पैसे वसूल रही सरकार, हर्षिता पांडेय ने लगाया आरोप
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बिलासपुर। राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार सदस्य हर्षिता पांडेय ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि- सरकार ग्राम पंचायतों को चावल तो दे रही है, पर ऐसे समय मे उस चावल की कीमत भी वसूल रही है। हर्षिता ने इस बारे में राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक पत्र लिख कर इस पर रोक लगाने की मांग की है।

राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में हर्षिता ने कहा है कि- समूचा देश कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य भी इसके कुप्रभाव से अछूता नहीं है। इसकी रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए प्रत्येक स्तर पर कोशिश की जा रही है। प्रदेश में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है। इस लॉकडाउन अवधि में किसी भी परिवार एवं व्यक्ति को भूखा न रहना पड़े इसके लिए केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा समुचित व्यवस्था किए जाने का भी निर्देश दिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत में 2 क्विंटल चावल रखने का निर्देश दिया गया है। ग्राम पंचायतों में 2 क्विंटल चावल खाद्य विभाग ने उपलब्ध करा दिया है लेकिन ग्राम पंचायत के मूलभूत मद से इसके एवज में प्रति क्विंटल 3271 रुपए के मान से 6542 रुपए की राशि चेक के रुप में ली गई है। मूलभूत मद की राशि ग्राम पंचायत की निधि होती है, जिसका उपयोग ग्राम पंचायत को अपने विकास के कार्यों में करने का होता है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए समुचित व्यवस्था एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है किन्तु राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर चावल, दाल आदि की व्यवस्था स्वयं करने के बजाय ग्राम पंचायत के मूलभूत मद का उपयोग किया गया है जो उचित नहीं है। चूंकि ग्राम पंचायत की आय के स्रोत अत्यंत सीमित होते हैं, ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी एवं वित्तीय भार ग्राम पंचायतों पर डालना उचित नहीं है।

हर्षिता पांडे ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देशित करें कि ग्राम पंचायत की मूलभूत निधि से चावल की राशि वसूलने के बजाय राज्य सरकार यह खर्च स्वयं वहन करे। इसके अलावा प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक निश्चित धन राशि उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि ग्राम पंचायत स्तर पर कोरोना वायरस से निपटने के लिए पंचायतें उसका उपयोग कर सके।

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