कोटा से वापस लाये जा रहे छात्रों को होम क्वारंटाइन करने की मांग, कलेक्टर को लिखा ख़त
कोटा से वापस लाये जा रहे छात्रों को होम क्वारंटाइन करने की मांग की जा रही है. इस संबंध में पालकों ने कलेक्टर को ख़त लिखने भी शुरू कर दिए हैं. बोइरदादर निवासी वीरसेन सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम एक एक पत्र जिला कलेक्टर को सौंपा है.

रायगढ़. कोटा से वापस लाये जा रहे छात्रों को होम क्वारंटाइन करने की मांग की जा रही है. इस संबंध में पालकों ने कलेक्टर को ख़त लिखने भी शुरू कर दिए हैं. बोइरदादर निवासी वीरसेन सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम एक एक पत्र जिला कलेक्टर को सौंपा है.
जिसमें कहा गया है कि उनकी बच्ची राजस्थान के कोटा शहर में नीट की तैयारी करने के लिए कोचिंग कर रही थी. कोरोनावायरस के कारण लॉक डॉन की स्थिति उत्पन्न होने से बच्चों को प्रशासन द्वारा रायगढ़ लाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में उनका निवेदन है कि उनकी बच्ची श्रेया सिंह कोटा के जिस हॉस्टल में रहती थी. वह पिछले 2 महीने से सेल्फ आइसोलेटेड थी एवं बच्ची का हॉस्टल से बाहर आना जाना मुश्किल था. उसे भोजन देने वाले व बनाने वाले भी हॉस्टल के अंदर ही निवास करते थे ऐसी स्थिति में वह संक्रमित नहीं थी.
अगर एक संभावना मान लें कि कोटा से आने वाला कोई एक बच्चा संक्रमित हो गया था तो ऐसी स्थिति में जिस बस में बैठा उसके साथ बैठे उसके साथी भी संक्रमित हो जाएंगे. 25 बच्चे दो ड्राइवर दो अटेंडेंट दो अटेंडेंट के साथ पूरी बस संक्रमित हो जाएगी. अगर उन्हें प्रशासन विभिन्न 25 हॉस्टल में भेज देता है तो उस हॉस्टल के सभी बच्चे संक्रमण के शिकार हो जाएंगे. जोकि 5000 की संख्या को पार कर जाएगा. एवं वह बच्चे हॉटस्पॉट का काम करेंगे. क्योंकि बच्चे जो लाये जा रहे है वह जिलेवार न लाये जाकर संभागवार बसों में बैठाए गए हैं. छात्रावास में व्यवस्था जिलेवार की गई है. अगर उन 25 बच्चों को विभिन्न जिलों के छात्रावास में रखे गए तो यह तय है कि वो सभी जिलों के छात्रावास के बच्चों को संक्रमण फैल जाएगा जो भयावह स्थिति होगी.
उन्होने कहा है कि अगर वह संक्रमित बच्चे अपने घरों में होम क्वॉरेंटाइन होते हैं तो मैक्सिमम चार या पांच व्यक्ति का एक परिवार होता है. उतनी ही लोग संक्रमित होंगे एवं कोरोना के संक्रमण को उसी स्तर पर रोका जा सकेगा. सर्वप्रथम ध्यान देने योग्य बात यह है कि कोटा से लाए जा रहे हैं बच्चे मानसिक रूप से कॉफ़ी प्रताड़ना झेल चुके एवं छत्तीसगढ़ आने के बाद जब उन्हें पता चलेगा कि उन्हें अन्यत्र जिले में कोरन्टीनें किया जा रहा है तो उनकी मानसिक स्थिति और भी खराब होगी. उनके सामने एक अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. शासन द्वारा बच्चों को क्वॉरेंटाइन के बाद जाने बाबत विभिन्न छात्रावासों की व्यवस्था की गई है. जिसमें एक कमरे में 20 से 25 बच्चों के रुकने की व्यवस्था है. सार्वजनिक शौचालय और स्नानघर है एवं रसोइयों द्वारा भोजन की व्यवस्था की जाएगी. केवारंटीन का एक सिद्धांत है कि व्यक्ति को एक कमरे के अंदर आइसोलेट किया जाना जिसके अंदर टॉयलेट की भी व्यवस्था हो एवम वह किसी के फिजिकल सम्पर्क में न आ पाए. ऐसी स्थिति में छात्रावास में रखकर बच्चों को और संक्रमित किए जाने की पहल होगी.
अगर प्रशासन चाहता है कि यह कोटा से लाए हुए बच्चे गलती से भी हॉटस्पॉट ना बने तो सर्वप्रथम आने के पश्चात उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराकर आंशिक रूप से भी बीमार बच्चे का चिकित्सालय में आइसोलेशन किया जाए. आइसोलेट किया जाए एवं जो बच्चे पूर्णता स्वस्थ हैं उन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया जाए. जिससे अगर कोई संक्रमित बच्चा अपने परिवार के शंकर संपर्क में आएगा. अभी तो सिर्फ वह परिवार को ही संक्रमित कर पाएगा और कोरोना का संक्रमण वहीं रुक जाएगा. कृपया कोटा से आने वाले स्वस्थ बच्चों को होम क्वारन्टीन की व्यवस्ता देकर कोरोना संक्रमण को रोका जाए.