छत्तीसगढ़ समाचार: बृजमोहन अग्रवाल ने हरिभूमि से की ''मन की बात'', कहा- मन नहीं होता बैठकों में जाने का
प्रदेश भाजपा संगठन के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब संगठन के रवैये से वरष्ठि नेता नाराज होते जा रहे हैंं। इस नाराजगी का आलम यह है कि अब संगठन की बैठकों से किनारा होने लेगा है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि रायपुरCreated On: 28 Jan 2019 10:19 AM GMT
रायपुर। प्रदेश भाजपा संगठन के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब संगठन के रवैये से वरष्ठि नेता नाराज होते जा रहे हैंं। इस नाराजगी का आलम यह है कि अब संगठन की बैठकों से किनारा होने लेगा है।
ऐसा करने वालों में वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम पहले नंबर पर आ गया है। उनकी नाराजगी कुछ दिन पहले प्रदेश संगठन की महत्वपूर्ण बैठक में उनके न जाने से साफ सामने आई है।
बैठक में न जाने को लेकर उन्होंने हरिभूमि से अपने मन की बात कहते हुए कहा, मन ही नहीं हुआ। कारण का साफ खुलासा तो वे नहीं करते हैं, लेकिन वे इशारों में जरूर बात देते हैं कि संगठन में इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।
अगर ऐसी स्थिति रही तो आने वाला समय और खराब होगा। भाजपा प्रदेश संगठन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब लोकसभा चुनाव के लिए हुई महत्वपूर्ण बैठक में बृजमोहन अग्रवाल जैसे दिग्गज नेता ने किनारा किया।
वैसे तो इस बैठक में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के साथ विधायक नारायण सिंह चंदेल भी नहीं गए थे, लेकिन इनके बारे में भाजपा संगठन ने बताया, वे बाहर गए हैं। बृजमोहन अग्रवाल के बैठक में न आने पर भाजपा संगठन के नेता कोई जवाब नहीं दे पा रहे।
जिस दिन बैठक हुई, वे रायपुर में ही रहे और बैठक में शामिल होने के स्थान पर कार्यकर्ताओं से मिलते रहे तथा कई कार्यक्रम में शामिल हुए।
संगठन से अब दूरी ही रहेगी
बृजमोहन अग्रवाल बैठक में न जाने को लेकर खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह जरूर कह दिया है कि उनकी इच्छा नही थी, इसलिए नहीं गए थे। जब उनकी इच्छा न होने के कारण जानने का प्रयास किया गया तो वे तो इस मामले में साफ तौर पर कुछ नहीं बोले लेकिन उनसे जुड़े लोगों से यह जानकारी सामने आई है कि भैया संगठन की गतिविधियों से भारी खफा हैं।
उनके खफा होने का सिलसिला उस समय प्रारंभ हुआ है, जब नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर संगठन ने उनकी नहीं सुनीं। उनको नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने से वे उतने खफा नहीं हुए हैं, जितने उनके विरोध में बाद भी धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। इसके बाद जब लोकसभा चुनाव के लिए तीन कलस्टर बनाए गए तो इन्हें छोड़कर हारे हुए नेताओं को प्रभारी बना दिया गया।
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