Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

रातभर प्रसव पीड़ा में कराहती रही महिला, नहीं आया कोई डॉक्टर, गर्भ में ही थम गई 3 बच्चों की सांसें

शासन के द्वारा मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए जिले के विभिन्न प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच की व्यवस्था की गई है। लेकिन इन क्षेत्रों में नियमित जांच नहीं होने से शिशु की कोख में मृत्यु हो जा रही है।

रातभर प्रसव पीड़ा में कराहती रही महिला, नहीं आया कोई डॉक्टर, गर्भ में ही थम गई 3 बच्चों की सांसें
X
राजनांदगांव. शासन के द्वारा मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए जिले के विभिन्न प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच की व्यवस्था की गई है। लेकिन इन क्षेत्रों में नियमित जांच नहीं होने से शिशु की कोख में मृत्यु हो जा रही है। राजनांदगांव शहर में बने मातृ एवं शिशु अस्पताल में आज कुछ इसी तरह का मामला सामने आया, जहां पर रेफर होकर आई महिलाओं की कोख में ही तीन बच्चों की मृत्यु हो गई। वहीं एक अन्य महिला की कोख में पल रहे शिशु की स्थिती गंभीर बताई जा रही है। लगातार तीन बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते इस तरह की घटना हुई। वहीं, मितानीन का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से कोख में बच्चे की मृत्यु होना बताकर रेफर किया गया था।
मिली जानकारी के अनुसार बुधवार की रात्रि लगभग 11 बजे एक महिला को बांधाबाजार क्षेत्र से रेफर कर राजनंदगांव के मातृ एवं शिशु अस्पताल भेजा गया था। रेफर होकर आई महिला के कोख में बच्चे की हलचल नहीं होने से देर रात नसों ने ड्यूटी डॉक्टर को कॉल किया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हो पाई। इसके बाद प्रारंभिक जांच में बच्चे की धड़कन नहीं मिलने से सुबह सोनोग्राफी कर स्थिती पता करने की बात कही गई। सुबह सोनोग्राफी होने पर कोख में बच्चे को मृत पाया गया। इसी तरह आज सुबह लगभग 8:30 बजे एक अन्य गर्भवती महिला भी रेफर होकर पहुंची जिसकी कोख में भी पल रहे शिशु की मृत्यु हो गई थी। वहीं, एक महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। इसी बीच डॉक्टरों की लापरवाही के चलते इस तरह की घटना को लेकर परिजनों के हंगामे के बाद एडीएम अनिल बाजपाई भी मौके पर पहुंचे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही।
मामले को लेकर एडीएम अनिल बाजपेयी ने कहा कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन नियमित जांच के नाम पर महज खानापूर्ति अस्पतालों में दिखाई देती है। शासन के द्वारा राजनांदगांव शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बगल में ही सौ बिस्तर का भव्य मातृ एवं शिशु अस्पताल तो बना दिया गया है, लेकिन यहां भी डॉक्टरों की पर्याप्त व्यवस्था दिखाई नहीं देती है। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक प्रदीप बैक का कहना है कि मामले की जांच करेंगे। महिला की नियमित जांच स्वास्थ्य केंद्र में हो रही थी या नहीं इस बात का भी पता किया जाएगा।
अस्पताल अधीक्षक डॉ प्रदीप बैक का कहना है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। दूरस्थ गांव में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा तो मिल गई है, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी साफ दिखाई दे रही है। अस्पतालों में प्रतिमाह गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती है। जिसका खामियाजा इस तरह के मामलों को देख कर समझा जा सकता है।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

और पढ़ें
Next Story