Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

CG Elections 2018: ''लैलूंगा'' में ये बनेगा मुख्य मुद्दा

विधानसभा क्षेत्र 70 फीसदी वनों से घिरा है तथा यहां 38 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। इसलिए यहां के चुनावी मुद्दे खासतौर पर जल, जंगल और जमीन से जुड़े हुए हैं। लैलूंगा विधानसभा में वन संपदा खनिज संपदा का दोहन तथा वृहद औद्योगिक के बावजूद बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्या है।

CG Elections 2018: लैलूंगा में ये बनेगा मुख्य मुद्दा
X
लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र 70 फीसदी वनों से घिरा है तथा यहां 38 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। इसलिए यहां के चुनावी मुद्दे खासतौर पर जल, जंगल और जमीन से जुड़े हुए हैं।
लैलूंगा विधानसभा में वन संपदा खनिज संपदा का दोहन तथा वृहद औद्योगिक के बावजूद बेरोजगारी और पलायन बड़ी समस्या है। वर्ष 2013 के चुनावों में भाजपा महिला मोर्चा की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष व दो बार जनपद पंचायत अध्यक्ष रह चुकी श्रीमती सुनीति राठिया ने इन्हीं मुद्दों को आधार बनाकर विपक्ष के विरुद्ध चुनाव लगा था और जीत दर्ज की लेकिन 5 साल गुजर जाने के बाद भी लैलूंगा विधानसभा की परिस्थितियों में कोई खास बदलाव नहीं आया है।इसे लेकर मतदाता तो असंतुष्ट हैं ही, पार्टी की खुफिया रिपोर्ट में भी मौजूदा विधायक के पक्ष में नकारात्मक रिपोर्ट ऊपर पहुंचाई गई है।

जनता भाजपा शासन से पूरी तरह संतुष्ट है

भाजपा शासनकाल में लैलूंगा में स्कूल कालेज, पुल, पुलियों का विकास हुआ है। सिंचाई सुविधा बढ़ने से उत्पादन का रकबा बढ़ा है। पलायन जैसी कोई बात नहीं ये विरोधी दलों द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम है।
औद्योगिक मंदी देशव्यापी है केवल लैलूंगा में ही इसका प्रभाव नहीं फिर भी यहां के जनता स्वरोजगार की दिशा में बढ़ रही है। जनता भाजपा शासन से संतुष्ट है।
सुनीति राठिया (विधायक, भाजपा)

विकास नाम की कोई चीज क्षेत्र में नहीं है

लैलूंगा में विकास नाम की कोई चीज नहीं है। सत्ता के साथ मिलकर पूंजीपतियांे ने किसानों की जमीनों पर कब्जा किया है। मुआवजे व रोजगार को लेकर सबसे ज्यादा आंदोलन लैलूंगा में ही होते आ रहे हैं।

रोजगार नहीं होने से पलायान लगातार हो रहा है। उद्योगों की वजह से प्रदूषण के कारण आबादी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही है। इस ओर ध्यान हीं नहीं दिया जा रहा है।

ह्दयराम राठिया (पूर्व विधायक, प्रत्याशी जोगी कांग्रेस)

जनता जर्नादन की बात

युवाओं को रोजगार नहीं

लैलूंगा में सर्वाधिक उद्योग व कोयला खदानंे संचालित हैं इसके बावजूद इस विधानसभा के युवा बेरोजगारों को काम नहीं मिल पा रहा है। लैलूंगा विधायक का प्रयास रोजगार की दिशा में जरुर सुना जाता है, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके विपरीत है।
लैलूंगा में खनिज व वन संपदा का दोहन तो खूब हो रहा है, लेकिन उसके एवज में न तो गांव ना ही पंचायतों का मूलभूत विकास भी भलीभांति हो पाया है।
कन्हाई राम पटेल, कोसमपाली

बुनियादी सुविधाएं तक नहीं

लैलूंगा विधानसभा में तीन पंचवर्षीय भाजपा का शासन रहा है, लेकिन लैलूंगा विधानसभा शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में ही पिछड़ा हुआ है। न तो स्कूलों की स्थिति सुधरी है न ही जनता को स्वास्थ्य, बिजली, पानी आदि बुनियादी सुविधाएं सुचारु हो पाई है।

जनप्रतिनिधियों में इच्छा शक्ति की कमी से विधानसभा के उस गांव तक का भलीभांति विकास नहीं हो पाया है। जिसे विधायक ने गोद लिया है।

गंगाराम पोर्ते, लैलूंगा

विकास के नाम पर ठगा सा महसूस कर रही जनता

छत्तीसगढ़ गठन के बाद से यह उम्मीद की जा रही थी कि खनिज व वन से परिपूर्ण लैलूंगा विधानसभा में सर्वाधिक विकास होगा, लेकिन यह उम्मीद एक मिथक बनकर रह गई।
लैलूंगा में जनप्रतिनिधियों ने स्थानीय जनता की भावनाओं से केवल खिलवाड़ किया है। क्षेत्र में बेरोजगारी, असुरक्षा और पिछड़ेपन की वजह से पलायन की स्थिति बन गई है और जनप्रतिनिधि तथा राजनीतिक पार्टियां लोगों की उम्मीदों, अंकाक्षाओं को केवल वोट बैंक मानकर उनके हाल पर छोड़ देते हैं। इससे जनता न केवल खुद को ठगा हुआ बल्कि उपेक्षित भी महसूस करती है।

खगेश पटेल, खम्हरिया

इस बार त्रिकोणीय मुकाबला

अब तक भाजपा व कांग्रेस के बीच ही सियासी घमासान रचने वाली लैलूंगा विधानसभा में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस के पूर्व विधायक ह्दयराम राठिया ने अजीत जोगी की पार्टी जोगी कांग्रेस में शामिल होकर अपनी घोषित दावेदारी से राजनैतिक समीकरण बिगाड़ दिए है।
दूसरी तरफ विधायक श्रीमती सुनीति राठिया के नकारेपन के कारण उन्हें भाजपा से ही जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती शांता साय से कड़ी चुनौती मिल रही है तो कांग्रेस में भी जिला पंचायत सदस्य चक्रधर सिदार व सुरेन्द्र सिदार ने अपनी दावेदारी पेश की है।
चूंकि लैलूंगा के सिदार व राठिया वोट बैंक निर्णायक है और दोनों ही वर्गो के नेता विधानसभा चुनाव जीत चुके है इसलिए 2018 में ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना मुश्किल है।

2008 समीकरण: कांग्रेस की लहर चली, क्षेत्र की समस्याओं से खफा जनता ने नया चेहरा चुना

प्रत्याशी पार्टी मत जीत का
ह्दयराम राठिया कांग्रेस 62008 अंतर
सत्यानंद राठिया भाजपा 47966
14042
10.7% वोट से कांग्रेस जीती

2013 समीकरण: विकास कार्यों से असंतुष्ट जनता ने कांग्रेस को नकारा, भाजपा सत्ता में आई

प्रत्याशी पार्टी मत जीत का
सुनिती राठिया भाजपा 74863 अंतर
ह्दयराम राठिया कांग्रेस 60633 14230
9.2% वोट से भाजपा जीती

जातिगत समीकरण

अकलतरा विधानसभा क्षेत्र में 38 प्रतिशत आबादी आदिवासी
अजजा सीटबेरोजगारी- पलायन मुख्य समस्या। विकास नहीं हाेने से जनता नाराज।
पौने दो लाख मतदाताओं में 30-40 साल के वोटर सबसे अधिक

लैलूंगा में राजघराने से लेकर कांग्रेस व भाजपा सभी ने किया राज

लैलूंगा विधानसभा सीट पर 80 के दशक में रायगढ़ के राजघराने के लोग विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता पर काबिज रहे हैं। विधानसभा में 90 के दशक तक कांग्रेस का कब्जा रहा है।
लेकिन, वर्ष 1998 में पहली बार भाजपा की टिकट पर प्रेमसिंह सिदार ने लैलूंगा में भगवा परचम लहराया था। हालांकि 2000 में अजीत जोगी के सीएम बनने के बाद प्रेमसिंह कांग्रेस में चले गए लेकिन भाजपा के जीत का सिलसिला लैलूंगा में जारी रहा।
2003 में सत्यानंद राठिया ने चुनाव जीता और प्रदेश के खाद्यमंत्री तक थे। हालांकि इसके बाद 2008 के चुनाव में कांग्रेस लहर में सत्यानंद राठिया को 14 हजार वोटों से हराकर ह्दयराम राठिया ने जीत दर्ज की लेकिन 2013 के चुनाव में एक बार फिर जनता का मिजाज बदला और भाजपा की श्रीमती सुनीति राठिया ने कांग्रेस को हराकर फिर से विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुई।

उद्योगपतियों और प्रशासनिक ज्यादती का शिकार हो रही जनता

औद्योगिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए ग्रामीण आबादी व स्थानीय हितों की खुली अनदेखी की गई है। लैलूंगा में ग्रामीण प्रशासनिक और औद्योगिक ज्यादती का शिकार हैं और स्थानीय जनप्रतिनिधि जन अपेक्षाओं के विपरीत कभी सरकार तो कभी उद्योगपतियों की हिमायती बनती रही है।

विधानसभा एक नजर में

कुल मतदान केंद्र - 277
कुल मतदाता - 187878
पुरुष 95048
महिला 92830

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

और पढ़ें
Next Story