किसानों पर लाठीचार्ज के बाद भाजपा आक्रामक, भूपेश सरकार के खिलाफ राज्यभर में हल्लाबोल, खरीदी समय 15 दिन बढ़ाने की मांग
बीजेपी ने आज प्रदेश भर में धरना देकर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. भाजपा ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर धान खरीदी की समय सीमा 15 दिन बढ़ाने, वादे के अनुरूप न्यूनतम 2500 रूपये प्रति क्विंटल कीमत तुरंत दिए जाए जाने की मांग की.

रायपुर. छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की समय सीमा समाप्त हो चुकी है. लेकिन धान खरीदी के मुद्दे पर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. केशकाल में किसानों पर लाठीचार्ज की घटना के बाद बीजेपी लगातार आक्रामक रुख अपनाई हुई है. बीजेपी ने आज प्रदेश भर में धरना देकर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोला. भाजपा ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर धान खरीदी की समय सीमा 15 दिन बढ़ाने, वादे के अनुरूप न्यूनतम 2500 रूपये प्रति क्विंटल कीमत तुरंत दिए जाए जाने की मांग की. इधर धान खरीदी को लेकर सरकार का दावा है की अब तक रिकार्ड तोड़ धान की खरीदी हुई है.
केशकाल में धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर लाठीचार्ज की घटना और प्रदेश भर में धान खरीदी को लेकर हुई अव्यस्था से बीजेपी ने सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. लाठीचार्ज की घटना के बाद बीजेपी ने पांच सदस्यीय जांच दल बनाकर केशकाल भेजा, और इसकी रिपोर्ट राज्यपाल अनुसूईया उइके को सौंपी. सरकार से धान खरीदी के संबंध में श्वेत पत्र जारी करने की मांग भी है. यही नहीं बीजेपी ने आज किसान मोर्चा के नेतृत्व में प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर धान खरीदी की समय सीमा 15 दिन बढ़ाने की मांग की.
भाजपा का आरोप है कि अभी भी प्रदेश के हज़ारों किसान अपना धान नहीं बेच सके है.बीजापुर,कवर्धा और बेमेतरा के किसान अब भी धान बेचने को लेकर सड़को पर है. भाजपा का कहना है कि किसानों से बड़े-बड़े वादे करके प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्तासीन हुई थी. उन वादों में 'न्यूनतम 2500 रुपये प्रति क्विंटल में, न्यूनतम 15 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी, 2 वर्ष का बकाया बोनस भुगतान, सभी किसानों की पूरी तरह से कर्जमाफी एवं मुफ्त बिजली समेत अन्य वादे शामिल थे.
ये सारे वादे गंगाजल हाथ में लेकर किये गए थे. सत्ता में आ जाने के बाद न केवल कांग्रेस की सरकार अपने तमाम वादों से मुकर गयी. साथ ही बीजेपी ने यह भी कहा कि प्रदेश मे धान खरीदी की अव्यवस्था चरमसीमा पर रही . खरीदी केन्द्रों में पंजीकृत किसानों को टोकन देने के बाद भी, बारदाने की कमी पैदा कर धान खरीद समय से पहले ही अघोषित रूप से बंद कर दिया गया है. हालत ऐसे रहे कि प्रदेश भर में किसान रात दिन अपनी उपज के साथ सोसायटी के बहार बैठे रहे।
इधर धान खरीदी को लेकर सरकार के अलग दावे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 2 हजार 47 उपार्जन केन्द्रों में 82 लाख 80 हजार मेट्रिक टन धान खरीदी की गई है. जो राज्य गठन से अब तक की सर्वाधिक खरीदी है. अब तक उपार्जित धान के लिए कुल भुगतान राशि 14751 करोड़ रूपए है. जिसमें से किसानों को 14 हजार 400 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है. खाद्य विभाग के मुताबिक खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 की तुलना में पंजीकृत किसानों की संख्या में 15.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि पंजीकृत किसानों के रकबे में 4.98 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. प्रदेश में इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य सरकार ने रखा था अब तक हुई खरीदी इस लक्ष्य के आसपास है.
हालांकि इस सीजन में धान खरीदी की व्यवस्था को लेकर कई जिलों में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है. वही केशकाल में किसानों पर लाठीचार्ज की घटना ने सुस्त पड़ी बीजेपी को एक नई ऊर्जा दे दी है. बीजेपी ने किसान से जुड़े मुद्दे को विदानसभा में भी जोर शोर से उठने का फैसला किया है.