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क्रिटिसिज्म को बनाएं अपना सक्सेस सूत्र

तारीफ सुनकर हम सब बहुत खुश होते हैं। लेकिन जब कोई हमें क्रिटिसाइज करता है तो हम दुखी और विचलित हो जाते हैं। जबकि क्रिटिसिज्म को सही तरीके से समझा जाए तो यह हमें बेहतर बनाने में मददगार हो सकता है।

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कॅरियर (फाइल फोटो)

अनीता एक कंपनी में लगभग तीन साल से काम कर रही है। वह अपने काम को पूरा समय देती है। लेकिन जब कभी काम की वजह से उसे क्रिटिसाइज किया जाता है तो वह परेशान हो जाती है। आगे कुछ दिनों तक उसकी वर्क परफॉर्मेंस भी बिगड़ जाती है, वह तनाव में रहती है। अकसर इस तरह की सिचुएशन का सामना कई लोग, ऑफिस या सोशल लाइफ में करते हैं। यहां हम यही कहना चाहेंगे कि ऐसे लोग क्रिटिसिज्म को सही रूप में नहीं लेते या कहें समझ नहीं पाते हैं। जबकि क्रिटिसिज्म से परेशान या दुखी ना होकर अपनी सफलता का जरिया बनाया जाना चाहिए। क्रिटिसिज्म का सामना करने के कई फायदे हैं, ये हमारी पर्सनालिटी, बिहेवियर में पॉजिटिव चेंज ला सकते हैं।

कमियों में होता है सुधार

अगर कोई आपको किसी बात के लिए क्रिटिसाइज कर रहा है, आपकी बात से सहमत नहीं है तो यह दुखी या विचलित होने वाली बात नहीं है। क्रिटिसिज्म करने वाला इंसान एक तरह से हमें, हमारी कमियों के बारे में बताता है। जबकि हम आसानी से अपनी कमियों को कभी जान ही नहीं पाते। हमें चाहिए कि हम शांत-भाव से अपनी कमियों जानें और खुद में सुधार लाएं, अपने आपको बेहतर बनाएं।

बड़ा होता सोच का दायरा

क्रिटिसिज्म करने वाला शख्स आप पर सवाल ही नहीं उठता, वह अपना विचार भी रखता है। इससे आपको एक ही विषय पर दो राय मिल जाती हैं, आपका सोच सीमित दायरे से बाहर आकर व्यापक होती है। जब सोच का दायरा बड़ा होता है, तो हम ज्यादा रचनात्मक होते हैं। यही बात हमारे लिए सफलता की राह को आसान बनाती है।

इंप्रूव होती कम्यूनिकेशन स्किल

जब कोई आपको क्रिटिसाइज करता है तो कई बार आपके पास अपनी बात को सही साबित करने के लिए तर्क या समाधान नहीं होते। ऐसे में आप निराश हो जाती हैं, खुद को कमतर महसूस करती हैं। लेकिन यही बात आपको आगे अपनी कम्यूनिकेशन स्किल, नॉलेज को बढ़ाने के लिए मोटिवेट भी करती है। इससे आप सामने वाले से बेहतर तरीके से बातचीत कर पाते हैं, अपनी बात को उसे समझा पाते हैं। यह सब क्रिटिसिज्म की वजह से ही हो पाता है।

अच्छे रिजल्ट मिलते हैं

क्रिटिसिज्म और अच्छे रिजल्ट का गहरा कनेक्शन होता है। दुनिया भर में ऐसे कई महान लोग हुए हैं, जिनके काम की, उनके विचारों की पहले आलोचना की गई। इसके बाद उन्होंने खूब मेहनत से अपने में सुधार किया। नतीजा यह हुआ कि वे दुनिया की सोच को बदलने में कामयाब हुए। खुद को सही साबित कर पाए। इस तरह जब भी कोई हमें क्रिटिसाइज करे तो हम विचलित न हों, अपने भीतर यह जोश-जज्बा जगाएं कि कुछ अलग करके दिखाना है, खुद को साबित करना है। इसके लिए हम जी-जान से अपने लक्ष्य के लिए जुट जाएं। यही मेहनत-लगन हमें सफल भी बनाती है।

ओवर क्रिटिसिज्म को समझें

जहां कुछ लोग क्रिटिसिज्म सही मकसद के लिए करते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जानबूझ लोगों के हर काम को क्रिटिसाइज करते हैं। ऐसे लोगों की आदत दूसरों को कमतर साबित करने होती है। ऐसे लोगों की मंशा जानकर, उनके क्रिटिसिज्म को अहमियत न दें। कभी भी ओवर क्रिटिसिज्म को अपने आप पर हावी न होने दें। बस अपने काम और खुद को बेहतर बनाने पर फोकस करें।

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