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प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए कंपनी कल्चर में हों फिट

आप अपने स्किल में परफेक्ट हैं, यह अच्छी बात है लेकिन प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए इसके साथ ही आपको अपनी कंपनी के वर्ककल्चर में फिट होना भी जरूरी है। मिसफिट होने की क्या वजहें हैं, इसके क्या नुकसान हैं, इस बारे में जरूरी एनालिसिस।

प्रोफेशनल ग्रोथ के लिए कंपनी कल्चर में हों फिट
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सपना एक वेब पोर्टल में सीनियर जर्नलिस्ट थी। कंटेंट मुहैय्या कराने वाले इस पोर्टल में सपना को वरिष्ठ स्तर पर काम करते हुए काफी परेशानी हो रही थी। दरअसल, उसके सहयोगी, जूनियर स्टाफ में आपसी खींचतान काफी बढ़ती जा रही थी। जूनियर स्टाफ में एक उम्रदराज महिला स्नेहा को हर किसी के व्यवहार से कोई न कोई परेशानी होती थी। एक ओर जहां जूनियर होने के बावजूद वह सपना के काम-काज में मीनमेख निकालती थी, वहीं अपने सहयोगी, समान पद पर कार्य करने वाले कम उम्र के सहकर्मियों की भी वह अकसर सपना से शिकायत करती थी। सपना के लिए सबके बीच सामंजस्य स्थापित कर पाना एक टेढ़ी खीर बनता जा रहा था।

दरअसल, स्नेहा का चरित्र किसी कंपनी में काम करने के लिए पूरी तरह से मिसफिट था। वास्तव में किसी कंपनी में काम करने वाले का चरित्र कंपनी वर्क कल्चर के साथ फिट होना निहायत जरूरी है।

कंपनी कल्चर समझना जरूरी

विभिन्न संस्थाएं इस बात को भली-भांति जानती और प्रयास करती हैं कि वे अपनी कंपनी में ऐसे व्यक्ति को ही जॉब दें, जो काम करना जानता हो। लेकिन उनकी निगाह में केवल यह पर्याप्त नहीं होता है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी संस्था में काम करने की शुरुआत करता है तो उसे कंपनी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कंपनी के दूसरे कर्मचारियों के साथ सामंजस्य स्थापित करना पड़ता है। कंपनी के लक्ष्यों और कार्यसंस्कृति में ढलने के लिए जरूरी है कि नवनियुक्त व्यक्ति दूसरे सहकर्मियों के साथ अपने बेहतर संबंध बनाए, उनके साथ मिल-जुलकर काम करने की खुद में भावना विकसित करे। यही वजह है कि साक्षात्कार लेने वाले इस विषय में सचेत रहते हैं कि उम्मीदवार उनकी संस्था के चरित्र के साथ फिट होने वाला है या नहीं। वे ऐसे व्यक्ति का चयन करते हैं, जिसका कार्य चरित्र दूसरे के साथ मेल खाता हो। उसका मनोविज्ञान, सामाजीकरण का तौर-तरीका उसके सहयोगियों के साथ मेल-मिलाप वाला होना चाहिए। यदि उसकी कार्यशैली कंपनी, सहकर्मियों के चरित्र के अनुरूप होगी तो उसकी उन्नति के भी पर्याप्त अवसर होंगे। जिससे कार्य के दायित्वों के बढ़ने के साथ उसे इसका आर्थिक लाभ भी हासिल होगा।

मिसफिट होने की वजहें

किसी कर्मचारी के किसी कंपनी में कल्चरली मिसफिट होने की कई वजहें हो सकती हैं। मसलन, किसी व्यक्ति का टफ स्वभाव, उसका गुस्सैल होना, नियमों के प्रति कड़ी प्रतिबद्धता, कार्य के प्रति सीरियस न होना, अति महत्वाकांक्षी, अति प्रतिस्पर्धी, नौकरशाह चरित्र, हरेक के साथ मजाक करने वाला, अधिक मांग करने वाला, अंतर्मुखी या लक्ष्य निर्धारित कर पाने में अक्षम आदि। इस प्रकार के स्वभाव के लोग दूसरों के साथ कल्चरली मिसफिट होते हैं। कई बार तो ऐसे लोग किसी कंपनी को ज्वाइन करने के बाद वहां के कल्चर में फिट न हो पाने की अक्षमता के चलते जल्दी ही नौकरी छोड़ भी देते हैं।

मिसफिट होने के नुकसान

कंपनी के कॉर्पोरेट कल्चर में फिट न हो पाने की स्थिति में कर्मचारी अपने निर्धारित करियर के लक्ष्यों का चुनाव कर पाने में अक्षम होता है। कल्चरली मिसफिट व्यक्ति से संस्था को भी नुकसान उठाना पड़ता है। इसका दूसरे सहकर्मियों की कार्यक्षमता पर भी विपरीत असर पड़ता है और आपसी खींचतान, नोक-झोंक से कंपनी की उत्पादकता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। इन तमाम वजहों से कंपनियां प्रतिभाशाली लोगों के बीच कल्चरली फिट होने की क्वालिटी को ज्यादा तरजीह देती हैं।

अप्रोच हो सही

कंपनियां ऐसे अप्रोच वाले प्रोफेशनल्स को पसंद करती हैं, जो अपने काम को बेहतर बनाने के लिए दूसरे की राय लेता है और अपने स्किल्स दूसरों को भी सिखाता है। दरअसल, अप्रोच एक ऐसा गुण है, जो हमें विरासत में मिलता है, जो हमारी स्वाभावगत विशेषता होता है। यही वजह है कि कंपनीज सिर्फ यह नहीं देखतीं कि कोई व्यक्ति काम को सही ढंग से कर सकने लायक है या नहीं, उनके लिए सिर्फ यही पर्याप्त नहीं है। कंपनी मैनेजमेंट यह भी देखता है, काम-काज का आपका अप्रोच क्या है? यही अप्रोच आपके आउटपुट को प्रभावित करता है। हर कंपनी मैनेजमेंट का प्रयास होता है कि वह इस प्रकार के कल्चरली फिट लोगों का चुनाव करे, जो कंपनी के लोगों के साथ न केवल मिल-जुलकर काम करें बल्कि कंपनी के लक्ष्यों, उसके मिशन, उसके विजन और वैल्यूज़ के साथ भी हर स्थिति में जुड़ा रहे। हर कंपनी चाहती है कि वह ऐसी आदर्श कंपनी हो जहां पर हर सुबह काम पर आने वाला व्यक्ति अपने दिन की बेहतर ढंग से शुरुआत करें। कंपनी में काम करने वाला व्यक्ति निरंतर कंपनी और अपनी उन्नति के विषय में सोचे और लंबे समय तक कंपनी के साथ स्वयं को जोड़े रखने की मानसिकता विकसित करे। इससे ही एंप्लॉई और एंप्लॉयर दोनों सैटिस्फाइड होंगे।

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