शरद-नीतीश में बढ़ी खींचतान, नीतीश को JDU अध्यक्ष पद से हटाया
इस काम में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल शरद यादव की भरपूर मदद कर रहे हैं।

जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और वरिष्ठ नेता शरद यादव के बीच खाई अब और गहरी हो गई है। शरद यादव गुट के नेताओं ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर गुजरात के विधायक छोटूभाई अमर सिंह वसावा को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया।
साथ ही कार्यकारिण ने सर्वसम्मत से यह पारित किया कि पूर्व में पार्टी उपाध्यक्ष अनिल हेगड़े के नेतृत्व में कराए गए सांगठनिक चुनाव गैर-संवैधानिक थे।
हेगड़े की नियुक्ति चूंकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने नहीं की थी इसीलिए वह सर्वथा गैर-संवैधानिक थी जिसके कारण नीतीश कुमार का चयन पार्टी अध्यक्ष पद के लिए संवैधानिक रूप से अमान्य कर दिया गया। साथ ही उनपर अनुशासन की तलवार लटका दी गई।
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जिन महासचिव को नीतीश कुमार ने पार्टी से गुजरात राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ करने के आरोप में निकाला था उन्हीं अरुण श्रीवास्तव को तीन सदस्यीय अनुशासन समिति का अध्यक्ष बनाकर यह दायित्व सौंपा गया है कि वे जल्द से जल्द नीतीश कुमार के खिलाफ आरोप तय कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा करें।
इसके बाद ये उम्मीद की जा रही है कि 8 अक्टूबर से पहले अनुशासन समिति की रिपोर्ट आ जाएगी। जिसमें नीतीश कुमार को जदयू से निकाल-बाहर किए जाने की घोषणा हो सकती है।
अनुशासन समिति में श्रीवास्तव के अलावा पूर्व सांसद अर्जुन राय और अमिताभ दत्ता को शामिल किया गया है। पार्टी का सांगठनिक चुनाव अगले छह महीने में सुभाष चंद्र श्रीवास्तव की निगरानी में कराने का प्रस्ताव भी पास हुआ।
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आगामी 8 अक्टूबर को ही शरद गुट के जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिल्ली के मावलंकर हॉल में प्रस्तावित है। उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के बीच इन दिनों तलवारें खिंची हुई हैं।
शरद यादव बिहार में नीतीश कुमार के भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद से नाराज चल रहे हैं। जिसके कारण उन्हें राज्यसभा में संसदीय दल के नेता पद से नीतीश कुमार ने हटा दिया।
उनकी जगह आरसीपी सिंह को नेता नामित किया। साथ ही शरद यादव का साथ दे रहे सांसद अली अनवर सहित कई नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया गया।
इसके बाद शरद यादव गुट ने खुद को असली जदयू बताते हुए चुनाव आयोग के पास आवेदन लेकर गया था। तीर चुनाव चिन्ह समेत पार्टी पर अपना अधिकार जताया था। जिसे आयोग ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था।
नीतीश कुमार के पक्ष में फैसला गया था। उसके बाद शरद यादव गुट फिर से पूरे दस्तावेजी प्रमाण के साथ आयोग के पास गया। इस काम में उन्हें कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का भरपूर साथ मिल रहा है।
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