लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में सीट बंटवारे को लेकर घमासान, जेडीयू ने 25, तो एलजेपी ने 7 सीटों पर ठोगा दावा
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए के घटक दलों ने अपने-अपने दावें पेश करने शुरु कर दिए हैं। जेडीयू ने बिहार में 25 सीटों तो एलजेपी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए अभी करीब एक साल का समय बचा हुआ है, लेकिन इसके लिए राजनीतिक बिसात अभी से बिछने लगी है। जहां पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो रहा है तो वहीं एनडीए के सहयोगी दलों में सीटों के बंटवारे पर खींचतान शुरू हो गई है। इससे बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।
खासकर बिहार में इस बार बीजेपी के लिए अपने घटक दल जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी को साथ लेकर चलना आसान नहीं होगा। बिहार में जेडीयू के बाद अब एलजेपी ने लोस चुनाव में सीटों के बंटवारे पर अपनी दावेदारी साफ कर दी है।
एलजीपी प्रदेश अध्यक्ष, नीतीश सरकार में पशु पालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि साल 2019 के लोस चुनाव में उनकी पार्टी सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे कम सीटों पर चुनाव लड़ने का कोई सवाल ही नहीं। इससे पहले साल 2019 के लोस चुनावों के लिए जेडीयू 25 सीटों पर दावा ठोक चुकी है।
बिहार में लोस की 40 सीटें हैं, जिसमें से पिछली बार बीजेपी ने 29 सीटों और एलजेपी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से बीजेपी को 22 सीटों और एलजेपी को छह सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में एलजेपी को सात सीटों से कम पर चुनाव लड़ने के लिए मनाना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है।
गत लोस चुनाव में जेडीयू एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था, जिसके चलते बीजेपी को सीट बंटवारे पर कोई दिक्कत नहीं हुई थी। हालांकि इस बार जेडीयू के साथ आने से आगामी चुनाव के लिए सीट बंटवारे का पेंच फंस गया है।
जेडीयू ने 40 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है, जबकि एलजेपी ने सात सीटों पर दावा ठोका है। इसके अलावा आरएलएसपी भी तीन सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर सकती है। ऐसे में इस गणित के हिसाब से बीजेपी के पास कुल पांच सीटें ही बचेंगी।
मतलब साफ है कि बिहार में सीटों के बंटवारे पर फॉर्मूला तैयार करना और सहयोगी दलों को राजी करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि बीजेपी अपने घटक दलों को साथ रख पाती है या नहीं।
उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद से तेवर दिखा रहे सहयोगी दल गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोस चुनाव में बीजेपी की हार के बाद से एनडीए के घटक दल अपना तेवर दिखा रहे हैं। इनको लगता है कि साल 2019 में पिछले लोस चुनाव जैसी स्थिति नहीं होगी।
पीएम मोदी के खिलाफ एकजुट विपक्ष कड़ी चुनौती पेश करेगा, जिसके चलते बीजेपी के पास अपने सहयोगी दलों को साधने की मजबूरी होगी। लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी को मिली हार के बाद से जेडीयू, एलजेपी और शिवसेना जिस तरह से मुखर हुए हैं, उससे बीजेपी भी सकते में है।
यही वजह है कि अभी से ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपने सहयोगी दलों को साधने के अभियान पर निकल पड़े हैं। फिलहाल को वो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने मुंबई पहुंचे हुए हैं। इसके बाद उनके पास बिहार के सहयोगी दलों को साधने की रणनीति पर काम करना पड़ेगा।
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