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जज ने अपने आदेश में लिखाः भ्रष्ट जजों को संरक्षण देता है पटना हाईकोर्ट प्रशासन

पटना हाईकोर्ट के सीनियर जज जस्टिस राकेश कुमार देश के न्यायिक इतिहास का अनोखा फैसला दिया है। जस्टिस कुमार ने अपने ताजा आदेश में हाईकोर्ट जजों के संरक्षण में ही भ्रष्टाचार होने की बात कही। बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में लिखा कि लगता है हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है।

जज ने अपने आदेश में लिखाः भ्रष्ट जजों को हाईकोर्ट प्रशासन दे रहा संरक्षण
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Judge wrote in his order: HC administration giving protection to corrupt judges

पटना हाईकोर्ट के सीनियर जज जस्टिस राकेश कुमार देश के न्यायिक इतिहास का अनोखा फैसला दिया है। जस्टिस कुमार ने अपने ताजा आदेश में हाईकोर्ट जजों के संरक्षण में ही भ्रष्टाचार होने की बात कही। बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में लिखा कि लगता है हाईकोर्ट प्रशासन ही भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है।

हालांकि उनके इस आदेश को एक दिन बाद 11 जजों की फुल बेंच ने सस्पेंड कर दिया। चीफ जस्टिस एपी शाही की 11 सदस्यीय बेंच ने कहा कि इस आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है। संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है।



बुधवार जस्टिस राकेश कुमार ने अपने आदेश में तल्ख टिप्पणी की और लिखा कि पटना के जिस एडीजे खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा क्यों दी गई? हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस और अन्य जजों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे विरोध को दरकिनार किया।

जस्टिस कुमार ने निचली अदालत में हुए स्टिंग मामले का संज्ञान लिया और इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। इसके बाद चीफ जस्टिस एपी शाही ने जस्टिस राकेश कुमार की एकल बेंच के केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी। अब अगले आदेश तक जस्टिस कुमार सिंगल बेंचकेसों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे।

अपने फैसले म जस्टिस राकेश कुमार ने रमैया की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिजहोने औऱ सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिले बावदजूद धूमचे कगेय़ इतना ही नहीं वे निचली अदालत से नियमतित जमानत लेने में कामयबा रहे। जस्टिस कुमार ने इस पूरे मामले की जांच करने के आदेश पटना के जिला एवं सत्र न्यायधीश को दिया है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत से बैल कैसे मिल गई।

जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में अदालतों और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाही में जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है, उसे मेरी अनुपस्थिति में फूलकोर्ट की मीटिंग में बर्खास्त करने के बयाय मामूली सजा देकर क्यों छोड़ दिया जाता है। मैने विरोध किया तो उसे भी नजरअंदाज किया गया। लगता है भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देने की परिपाटी हाईकोर्ट में बनती जा रही है। यही कारण है कि निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी रमैया जैसे भ्रष्ट अधिकारी को जमानत देने की धृष्टता करते हैं।



जस्टिस कुमार ने आदेश की प्रति सुप्रीम के मुख्य न्यायधीस, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और सीबीआई अधिकारी को भेजने का भी निर्देश दिया। उन्होंने जजों के सरकारी बंगले के रखरखाव पर होने वाले खर्च पर भी सवाल खड़ते हुए कहा कि टैक्स पेयर के करोड़ों रुपए साज-सज्जा पर खर्च किए जा रहे हैं।

जस्टिस कुमार ने कहा कि पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सरेआम घूस मांगले कोर्ट कर्मचारियों को पूरे देश ने देखा लेकिन ऐसे कर्मियों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है जबकि हाईकोर्ट के ही एक वकील जनहित याचिका दायर कर पिछले डेढ़ साल से एफआईर दर्ज करने की गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने स्टिंग मामले को संज्ञान में लेते हुए इसकी जांच का निर्देश सीबीआई को दिया।

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