Chamki Fever : मुजफ्फरपुर में नहीं थम रहा चमकी का हाहाकार, अब तक 100 बच्चों की मौत
बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) का कहर जारी है। मुजफ्फरपुर में मौत का आंकड़ा बढ़कर 96 से100 तक पहुंच चुका है। अभी एक घंटे पहले यह आंकड़ा 90 के ऊपर थी लेकिन मौत का आंकड़ा घड़ी की सूईयों पर बढ़ता जा रहा है। चमकी बुखार से सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज में हुई हैं। एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में अभी भी 375 बच्चे एडमिट हैं।

बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) का कहर जारी है। मुजफ्फरपुर में मौत का आंकड़ा बढ़कर 96 से100 तक पहुंच चुका है। अभी एक घंटे पहले यह आंकड़ा 90 के ऊपर थी लेकिन मौत का आंकड़ा घड़ी की सूईयों पर बढ़ती जा रही है। बता दें कि यह जानकारी SKMC अस्पताल के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने दिया।
#UPDATE Sunil Kumar Shahi, Superintendent at Sri Krishna Medical College&Hospital (SKMCH): Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) in Muzaffarpur rises to 100. #Bihar https://t.co/KsS4axA0zD
— ANI (@ANI) June 17, 2019
चमकी बुखार से सबसे ज्यादा मौतें मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज में हुई हैं। एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में अभी भी 375 बच्चे एडमिट हैं। चमकी बुखार से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गए सारे प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन रविवार को डॉक्टरों की टीम लेकर मुजफ्फरपुर पहुंचे लेकिन उनकी टीम ने भी यही बात कही कि अस्पताल पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन बीमारी पर काबू नहीं पाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी का बेहतर इलाज तभी हो सकता है जब इसपर शोध हो। अभी तक इस बीमारी की पहचान नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी की प्रकोप से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर शोध करना होगा। साथ ही बीमारी वाले क्षेत्रों में बच्चों का टीकाकरण करना होगा। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है।
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और बदइंतजामी
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि चमकी बुखार से मौत का कारण यह भी है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है और दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। हालत यह है कि आईसीयू में भी डॉक्टरों की कमी है। न बच्चों को डॉक्टर समय-समय पर देख पा रहे हैं न ही दवाएं दे रहे हैं। डॉक्टरों ने भी माना है कि बच्चे ज्यादा है और अस्पताल में संसाधन कम है।
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