पेट्रोल-डीजल की कीमत क्यों छू रही है आसमान, जानें इसके पीछे की वजह
देश में पेट्रोल डीजल की कीमत काफी तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते इस कीमत ने अब तक सभी रिकॉर्ड तोड़ दिेए है। यह भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह कीमत और भी बढ़ सकती है, वहीं दूसरी तरफ जो देश भारत से तेल खरीदते है।

देश में पेट्रोल डीजल की कीमत काफी तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते इस कीमत ने अब तक सभी रिकॉर्ड तोड़ दिेए है। यह भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह कीमत और भी बढ़ सकती है, वहीं दूसरी तरफ जो देश भारत से तेल खरीदते है। वे देश हमसे सस्ती कीमत पर तेल बेचते है, आज हम आपको बताते है कि कैसे पेट्रोल और डीजल की कीमत आसमान छू रही है साथ ही कैसे इसकी कीमत तय की जाती है।
कच्चे तेल की कीमत और पेट्रोल-डीजल की मांग इसकी कीमत बढ़ने की वजह से बन गई है, हालाकि कच्चे तेल की कीमत इस वक्त करीब 70 डॉलर प्रति बैरल है।
मगर पिछले कुछ साल पहले इसकी कीमत करीब 107 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी, उस समय जब कीमत सरकार के हाथो से बाहर निकल गई थी तो इसका सीधा असर कीमतो पर पड़ा था। इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत तो घटी है, मगर कई तरह के टैक्स लगने के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ चुकी है।
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कैसे पेट्रोल डीजल की कीमत तय होती है
सबसे पहले खाड़ी देशों से तेल खरीदते है, फिर उसमें ट्रांसपोर्ट का खर्च जोड़ा जाता है। इसके बाद कच्चे तेल को रिफाइन करने के खर्च को भी जोड़ा जाता है, वहीं सरकार की एक्साइज डयूटी और डीलर की कमीशन को जोड़ा जाता है। आखिर में राज्य वैट लगने के बाद में आम ग्रहाको के लिए इस तेल की कीमत तय की जाती है।
चार साल में बढ़ी कीमत
भारत में चार साल में 12 बार सरकार ने कीमत बढ़ाई है, इसके साथ ही सरकार ने ईंधन पर एक दर्जन से ज्यादा बार एक्साइज डयूटी को बढ़या है। इसका नतीजा यह निकला कि इस समय की सरकार को पेट्रोल पर मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में मिलने वाली एक्साइज डयूटी के बदले 10 रुपये ज्यादा फायदा हुआ था। वहीं दूसरी तरफ डीजल में भी सरकार को पिछली सरकार के मुकाबले में 11 रुपये का फायदा हुआ था।
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बता दें कि पेट्रोल पर एक्साइज डयूटी 105.49 फीसदी के साथ डीडल पर 240 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं पेट्रोल और डीजल में कई तरह के टैक्स शामिल है। इसमें एक्साइज डयूटी, वैट के अलावा डीलर की कमीशन और उसकी तरफ से लगाए रेट को भी जोड़ा जाता है। लेकिन एक्साइज डयूटी तो सरकार ही लेती है और वैट को देश के अलग-अलग राज्य लेते है।
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