अब क्लाउड से चलेगा WiFi, इस कंपनी ने पेश की अनोखी तकनीक
इस नए तकनीक में सर्वर को कहीं से भी होस्ट करने की सुविधा है।

सरकारी संस्थानों एवं वित्तीय संस्थानों समेत कॉरपोरेट जगत को वृहद स्तर पर अत्याधुनिक वाई-फाई सेवा देने वाली कंपनी मोजो नेटवर्क्स ने देश में क्लाउड आधारित वाई-फाई नेटवर्क का विस्तार करने की योजना बनाई है।
कंपनी का कहना है कि वाई-फाई की क्लाउड आधारित प्रौद्योगिकी पारंपरिक वाई-फाई सेवाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित तथा सहज है। मोजो नेटवर्क्स के सह-संस्थापक एवं अध्यक्ष किरण देशपांडे ने कहा, ‘कंपनी का लक्ष्य देश में वृहद स्तर पर इस तरह की क्लाउड आधारित वाई-फाई सेवा मुहैया करानी है। इसके लिए सर्वर भारत में ही होस्ट किया जाए।’
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"Mojo's Intelligent Cloud Architecture is best suited for massively scalable Wi-Fi" - Dr. Kaustubh Phanse @mojonetworks_ at @wifinowevents #Cloud #WiFiNOW @TiEPune @Vishmah
— Kiran Deshpande (@Kiran1703) November 29, 2017
सार्वजनिक वाई फाई में लगते है ज्यादा हॉर्डवेयर
कंपनी के अध्यक्ष देशपांडे ने कहा कि पारंपरिक प्रौद्योगिकी से बड़े स्तर पर सार्वजनिक वाई-फाई सेवाओं को देने में ज्यादा हार्डवेयर लगता है तथा सुरक्षा संबंधी दिक्कतें सामने आती हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, पारंपरिक प्रौद्योगिकी के तहत 10 लाख एक्सेस प्वायंट (एपी) के लिए 53 रैक्स मशीनों की जरूरत होती है लेकिन क्लाउड आधरित प्रौद्योगिकी में इसके लिए महज 12 रैक्स पर्याप्त हैं।
सर्वर देश में कही भी हो सकता है होस्ट
इसके अलावा नई प्रौद्योगिकी अपनाने से श्रम बल पर निर्भरता भी कम होती है। कंपनी के सह-संस्थापक एवं मुख्य तकनीकी अधिकारी प्रवीण भागवत ने कहा कि इस तकनीक के तहत किसी भी एक जगह पर सर्वर होस्ट कर देश के किसी भी हिस्से में वाई-फाई सेवा उपलब्ध कराई जा सकती है।
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जियो में भी यही प्रौद्योगिकी
भागवत ने कहा कि मुकेश अंबानी की दूरसंचार कंपनी रिलायंस जिओ ने भी मोजो की इसी प्रौद्योगिकी को अपनाया है। उन्होंने कहा, क्लाउड आधारित इस प्रौद्योगिकी को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए इस तरह से विकसित किया गया है कि यह नेटवर्क में आने वाली दिक्कतों की खुद ही पहचान कर उसे दूर कर लेता है।
नेटवर्क स्वत दिक्कत दूर कर लेता है
पारंपरिक सेवा के तहत नेटवर्क में कोई दिक्कत आने पर उसे ठीक करने में कई बार काफी दिन लग जाते हैं और इसके लिए इंजीनियर भी भेजने पड़ जाते हैं, लेकिन क्लाउड आधारित प्रौद्योगिकी में इस तरह की दिक्कतें नहीं आती हैं।
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