कर्नाटक विधानसभा चुनाव नतीजों से पहले, पेट्रोल-डीजल हुआ महंगा, जानिए नई कीमतें
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने के बाद नतीजों से एक दिन पहले पेट्रोल की कीमत में 17 पैसे जबकि डीजल के मूल्य में 21 पैसे की वृद्धि की गई। तेल कंपनियों ने इससे पहले 23 अप्रैल 2018 को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाये थे। पेट्रोल 74.63 रुपये प्रतिलिटर से बढ़ाकर 74.80 रुपये प्रतिलिटर किया गया है, जबकि डीजल 65.93 रुपये प्रतिलिटर से बाढ़ाकर 66.14 रुपये प्रतिलिटर किया गया है।

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने के बाद नतीजों से एक दिन पहले पेट्रोल की कीमत में 17 पैसे जबकि डीजल के मूल्य में 21 पैसे की वृद्धि की गई। तेल कंपनियों ने इससे पहले 23 अप्रैल 2018 को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाये थे। पेट्रोल 74.63 रुपये प्रतिलिटर से बढ़ाकर 74.80 रुपये प्रतिलिटर किया गया है, जबकि डीजल 65.93 रुपये प्रतिलिटर से बाढ़ाकर 66.14 रुपये प्रतिलिटर किया गया है।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले 11 मई 2018 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार से लोगों पर बोझ कम करने के लिये पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने की मांग की थी। पेट्रोल की कीमत 55 महीने के उच्च स्तर और डीजल के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के साथ उन्होंने यह मांग की है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को लिखे पत्र में नायडू ने कहा कि केंद्र ने वैश्विक स्तर पर तेल के दाम में नरमी का लाभ उठाने के इरादे से नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में नौ बार बढ़ोतरी की लेकिन कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने पिछले साल अक्तूबर में कर में केवल दो रुपये लीटर की कटौती की।
चार मई को लिखे पत्र में नायडू ने लिखा है कि उसके बाद उत्पाद शुल्क में कोई कटौती नहीं हुई, आम लोगों को कोई राहत नहीं मिली। उल्लेखनीय है कि पेट्रोल का दाम 74.63 रुपये लीटर पर पहुंच गया है जो 55 महीने का उच्च स्तर है जबकि डीजल की कीमत रिकार्ड 65.93 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गयी है। नायडू ने लिखा है कि वास्तव में देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आयात पर निर्भर पड़ोसी देशों के मुकाबले 6.35 रुपये तथा 15.15 रुपये प्रति लीटर ऊंची है।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों ने वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम में कमी का लाभ खुदरा ग्राहकों को दिया। नायडू ने प्रधान ने उत्पाद शुल्क में कटौती कर कीमतों में कमी लाने को कहा ताकि उसे 2014 के स्तर पर लाया जा सके पेट्रोल और डीजल की मुद्रास्फीति सूचकांक में 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है और खुदरा दरों में कमी नहीं होने से आम लोगों की क्रय शक्ति कम होती है और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) प्रभावित होता है।
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