International Men''s Day 2018 : इस वजह से मनाया जाता है ''मेन्स डे''
19 नवंबर को पूरी दुनिया ''इंटरनेशल मेन्स डे'' यानि अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मना रही है। आमतौर पर आपने आज तक लोगों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को शुभकामनाएं और तोहफे देते हुए देखा या सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी पुरूषों के लिए किसी ऐसे दिन के बारे में सुना है। अधिकांश लोगों का जवाब ना में होगा।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 19 Nov 2018 4:29 PM GMT
19 नवंबर को पूरी दुनिया 'इंटरनेशल मेन्स डे' यानि अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मना रही है। आमतौर पर आपने आज तक लोगों को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को शुभकामनाएं और तोहफे देते हुए देखा या सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी पुरूषों के लिए किसी ऐसे दिन के बारे में सुना है। अधिकांश लोगों का जवाब ना में होगा।
जी हां, 'इंटरनेशल मेन्स डे' ऐसा दिन भी होता है और इसे मनाया भी जाता है। 'इंटरनेशल मेन्स डे' दुनिया में 1960 के दशक से ही मनाया जा रहा है। इस दिन आप अपने लाइफ के हर पुरूष के प्रति अपने प्यार और सम्मान को दर्शा सकती हैं।
वैसे दुनिया के अन्य देशों के समाज की ही तरह हमारा समाज भी एक पुरूष प्रधान समाज हैं। जिसमें समाज, घर,परिवार से जुड़ें हर फैसलों में पुरूषों की छाप साफ तौर पर देखी जा सकती है। जिससे महिलाओं को बचाने के लिए समय-समय पर कानून में कई बदलाव भी करते हुए महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश की गई है।
इस बार 'मेन्स डे' की क्या है थीम
इस दिन समाज, परिवार, विवाह और बच्चों की देखभाल में पुरुषों के सहयोग और उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाया जाता है। इस बार 'इंटरनेशल मेन्स डे' की थीम Positive Male Role Models रखी गई है। दरअसल मेन्स डे पर पुरूषों के साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और आइडल मैन बारे में दुनिया को बताना होता है। गौरतलब है कि 'इंटरनेशल मेन्स डे' की लेकर एक आधिकारिक वेबसाइट भी है और फेसबुक पेज भी बना हुआ है। इनके जरिए डोनेशन ली जाती है।
'मेन्स डे' मनाना भी है जरूरी
माना कि भारत के साथ दुनिया में अधिकाश देश पुरुष प्रधान देशों की श्रेणी में आते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को समय समय पर अलग-अलग तरीकों के जरिए सशक्त किया जाता है, लेकिन ऐसा पूरी तरह से सही नहीं है, क्योंकि कई मामलों में पुरूष भी पीड़ित पाए जाते हैं।
इसकी पुष्टि ये कुछ आंकड़ें करते हैं। 76 फीसदी आत्महत्याएं पुरुष करते हैं, 85 फीसदी बेघर लोग पुरुष हैं, 70 फीसदी हत्याएं पुरुषों की हुई हैं, घरेलू हिंसा के शिकारों में भी 40 फीसदी पुरुष हैं। देश में 498A दहेज प्रताड़ना कानून का पुरूषों के खिलाफ सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया गया ।
जिसके बाद सरकार को इस कानून में जरूरी बदलाव करने तो ऐसे में अगर महिला और पुरुष को समानता के पैमाने पर रखना है तो महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाना जरूरी है।
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