डीजल इंजन बन सकती है इतिहास, रेलवे ने लिया है ये बड़ा फैसला
पर्यावरण प्रदुषण को देखते हुए रेलवे अपने सभी डीजल इंजन को बंद करने पर विचार कर रही है।

जब भी हम भारतीय रेल की जिक्र करते हैं तो हमारे आंखो के सामने धुंआ उड़ाती हुई इंजन की तस्वीर नजर आती है। मगर धुंए वाली इंजन हमारे लिए इतिहास बनने जा रही है। भारतीय रेल, 2021 तक अपने सभी डीजल इंजन का परिचालन बंद कर सकती है।
पिछले साल ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने दिल्ली आने वाली सभी रेलगाड़ियों में बिजली से चलने वाले इंजन लगाने का आदेश दिया था। रेलवे ने इस आदेश का पालन करते हुए लगभग सभी मार्गों का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य बनाया है।
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डीजल से चलने वाले इंजन से प्रदुषण तो होता ही है, साथ में इस इंजन से रेलगाड़ी चलाने पर रेलवे को ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
हर साल बचेंगे 10,500 करोड़ रुपये
रेलवे के मुताबिक हर साल डीजल इंजन के न होने से लगभग 10,500 करोड़ रुपये की बचत होगी। रेलवे ने इसके लिए 35 हजार करोड़ का बजट बनाया है। रेलवे के पास अभी भी 66 हजार किलोमीटर का नेटवर्क है, जिस पर डीजल इंजन से ट्रेनें चलाई जाती है।
कम हो जाएगी कॉस्ट
रेलवे को विद्युतीकरण करने के लिए एक किलोमीटर का ट्रैक तैयार करने में करीब 1 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। अभी आधे से ज्यादा रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण किया जा चुका है।
जिन रूटों पर विद्युतीकरण नहीं हुआ है वहां रेलवे को हर साल डीजल पर 26,500 करोड़ रुपये खर्च आता है। वहीं विद्युतीकरण करने के बाद 16 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आएगा।
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बिजलीघरों से सीधी लेगी बिजली
रेलवे अपने ट्रेनों के लिए बिजली पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों से खरीदती है। रेलवे अब बिजली, पॉवरहाउस से खरीदने का विचार कर रही है। अगर रेलवे ऐसा करती है तो उसे सालाना 2,500 करोड़ की बचत होगी।
अभी रेलवे हर साल 15.6 बिलियन यूनिट का उपयोग करता है, जिसका खर्चा करीब 9,500 रुपये बैठता है। इसके अलावा रेलवे को डीजल पर 17 हजार करोड़ का खर्च अलग से करना पड़ता है।
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अभी है 4,400 बिजली से चलने वाले इंजन
रेलवे के पास वर्तमान में 4,400 बिजली से चलने वाले इंजन है। अगर सभी मार्गों का विद्युतीकरण हो जाता है तो रेलवे को 600 इंजन की जरूरत और होगी। रेलवे इसके लिए प्रतिवर्ष 250 इंजन का निर्माण करेगी।
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