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Google ने समाजसेवी बाबा आम्टे के जन्मदिन पर बनाया डूडल, जानें उनसे जुड़ी खास बातें

दुनिया की दिग्गज सर्च इंजन कंपनी Google आज समाजसेवी बाबा आम्टे के जन्मदिन के खास अवसर पर डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें याद किया है। साथ ही अपने डूडल के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

Google ने समाजसेवी बाबा आम्टे के जन्मदिन पर बनाया डूडल, जानें उनसे जुड़ी खास बातें
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Google Doodle

दुनिया की दिग्गज सर्च इंजन कंपनी Google आज समाजसेवी बाबा आम्टे के जन्मदिन के खास अवसर पर डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें याद किया है। साथ ही अपने डूडल के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

गूगल ने खास तौर पर अपने डूडल (Google Doodle) में बाबा आम्टे की तस्वीरों को स्लाइड्स (Google Doodle) में पेश किया है और साथ ही दिखाने की कोशिश की है कि कैसे उन्होंने जरूरतमंद लोगों की मदद की थी। आइए जानते है बाबा आम्टे (Baba Amte) के बारे में....

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बाबा आम्टे (Baba Amte) का जन्म 26 दिसंबर 1914 में हुआ था, वे महाराष्ट्र के रहने वाले थे। बाबा आम्टे का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था और साथ ही उन्हें बचपन से सारी सुख सुविधाएं मिली थी। शुरुआत के दिनों में वे शिकार करते थे और महंगी कारों में भी घुमते थे। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी लॉ की पढाई विदेश से की थी।

ऐसे की समाज सेवा शुरू (Google Doodle)

बाबा आम्टे (Baba Amte) ने 30 साल की उर्म में समाजसेवा शुरू कर दी थी और उन्होंने अपनी वकालत को भी छोड़ दिया था। समाज सेवा उन्होंने तब शुरू की, जब वे एक कुष्ठ रोग के व्यक्ति से मिले थे और इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया था।

जब उन्होंने एक कुष्ठ रोग के मरीज को देखा तो बाबा ने कहा है कि व्यक्ति के शरीर का अंग से ज्यादा अपना जीवन खोता है, साथ ही अपनी मानसिक ताकत खोने के साथ अपना जीवन भी खो देता है।

देश में पैदल की यात्रा (Baba Amte)

बाबा आम्टे (Baba Amte) देश की एकता के साथ अखंडता को बड़ा मानते थे। बाबा ने 72 साल की उर्म में मार्च 1985 में निट इंडिया अभियान का ऐलान किया था। बाबा आम्टे ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा पैदल की थी।

इस पैदल यात्रा के दौरान बाबा के साथ 100 पुरुष के साथ 16 महिलाएं शामिल थी, जिनकी उर्म करीब 35 साल से कम थी। उनकी इस यात्रा का लक्ष्य था कि लोगों को एक भारत के लिए प्रेरित किया जा सके।

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बता दें कि बाबा आम्टे (Baba Amte) को उनके किए गए प्रयासों को देखते हुए, उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। इतना ही नहीं उन्हें युनाइटेड नेशन अवार्ड से भी नवाजा गया था और 1999 में उन्हें गांधी पीस अवार्ड भी दिया गया था।

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