आपकी पुरानी गाड़ियां हो जाएंगी बेकार, 1 अप्रैल से बिकेंगे केवल ये वाहन
परिवहन मंत्रालय ने भी प्रदूषण रहित वाहनों के निर्माण करने के लिए ऑटोमोबाइल कंपनियों को निर्देश दिए है।

परिवहन मंत्रालय ने भी प्रदूषण रहित वाहनों के निर्माण करने के लिए ऑटोमोबाइल कंपनियों को निर्देश दिए है।
इसी क्रम में केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कल मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने 1 अप्रैल 2018 से बीएस-6 मानक के वाहनों को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। मैं ऑटोमोबाइल उद्दोग को इसके अनुसार वाहन बनाने की अपील करता हूं। भारत में वैक्लिपक एवं जैव ईंधनों पर जोर दिया जा रहा है।
Pollution biggest issue in India. Everyone knows situation in Delhi. We decided to make BS VI mandatory from 1st April. I appeal automobile industry to work accordingly & help reduce pollution. Alternative fuel & bio-fuel is being emphasised upon in India: Union Min Nitin Gadkari pic.twitter.com/SJjGyzRK7U
— ANI (@ANI) January 19, 2018
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क्या है बीएस?
बीएस यानी भारत स्टेज उत्सर्जन मानक है, जिसे वर्ष केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य चार पहिया वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना और इस मानक के जरिये वातावरण में घुल रहे जहर पर रोक लगाना था।
सीपीसीबी (सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड) द्वारा समय-समय पर इसके कई मानक जैसे बीएस-III, बीएस-IV और अब बीएस-6 तय किए हैं। बीएस-6 मानक लागू करने से कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।
कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी
विशेषज्ञों का कहना है कि बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 डीजल में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ 70 से 75 फीसदी तक कम होते हैं। बीएस-6 मानक लागू होने से प्रदूषण में काफी कमी होगी। खासकर डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण में बड़ी कमी आएगी।
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस-6 स्तर का डीजल काफी बेहतर होगा। यही वो खतरनाक प्रदूषक पदार्थ हैं जिनसे कैंसर, अस्थमा और फेफड़ों की तमाम बीमारियां होती हैं।
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प्रदूषण पर लगेगी लगाम
बीएस-6 फ्यूल से सल्फर की मात्रा बीएस-4 से 5 गुना तक कम होगी। यह काफी क्लीन फ्यूल है। इस फ्यूल के इस्तेमाल से सड़कों पर चल रही पुरानी गाड़ियों में भी फैल रहा प्रदूषण कम होगा। बीएस-6 गाड़ियों में भी एडवांस एमिशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा।
हालांकि, इसका पूरा लाभ तब मिलेगा, जब गाड़ियां भी पूरी तरह से बीएस-6 मानक के आधार पर तैयार की जाएंगी। सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वारोमेंट) के मुताबिक, इंडस्ट्री को इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने चाहिए।
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