फिच ने देश की को लेकर किया बड़ा ऐलान, जीडीपी ग्रूथ घटकर हुई 6.80 प्रतिशत
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये देश की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान शुक्रवार को सात प्रतिशत से घटाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया। एजेंसी ने आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से कमतर गति को इसका कारण बताया।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये देश की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान शुक्रवार को सात प्रतिशत से घटाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया। एजेंसी ने आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से कमतर गति को इसका कारण बताया।
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एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले उसने पिछले साल दिसंबर में इसे 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था। वित्त वर्ष 2017-18 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.20 प्रतिशत रही थी।
एजेंसी ने अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा है कि हालांकि हमने अर्थव्यवस्था में उम्मीद से कमतर तेजी के कारण अगले वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान कम किया है, इसके बाद भी देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्तवर्ष 2019-20 में 6.8 प्रतिशत और वित्तवर्ष 2020-21 में 7.10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा।
एजेंसी ने कहा कि देश की जीडीपी की वृद्धि दर लगातार दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ी है और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 6.6 प्रतिशत पर आ गयी। इससे पहले जुलाई-सितंबर तिमाही और अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर क्रमश: सात प्रतिशत और आठ प्रतिशत रही थी।
उसने कहा है कि विनिर्माण क्षेत्र में और कुछ हद तक कृषि क्षेत्र में गतिविधियां नरम पड़ने से वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है। यह सुस्ती मूलत: घरेलू कारकों के कारण है।
एजेंसी ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर काफी हद तक निर्भर क्षेत्रों जैसे वाहन एवं दोपहिया क्षेत्र में बिक्री गिरी है और इन्हें वित्त की उपलब्धता में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा पिछले साल के अंतिम महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति के नकारात्मक हो जाने से किसानों की आय पर दबाव बना है। फिच के अनुसार, दिसंबर 2019 तक रुपये के गिरकर 72 रुपये प्रति डॉलर पर और दिसंबर 2020 तक गिरकर 73 रुपये प्रति डॉलर पर आ जाने की आशंका है।
दिसंबर 2018 में यह 69.82 रुपये प्रति डॉलर पर रहा था। एजेंसी ने कहा कि वित्तीय एवं मौद्रिक नीतियां वृद्धि के अनुकूल होते जा रही हैं। रिजर्व बैंक ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए पिछले महीने आधार दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है।
फिच ने कहा है कि हमने आधार दर के बारे में अपना परिदृश्य बदला है और हमें पहले की आशंका के अपेक्षाकृत आसान वैश्विक मौद्रिक परिस्थितियां तथा मुद्रास्फीति के दायरे में रहने के कारण आधार दर में 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती का अनुमान है।
एजेंसी ने वैश्विक जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान भी कम किया है। एजेंसी ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान 2018 के लिये 3.3 प्रतिशत से घटाकर 3.2 प्रतिशत और 2019 के लिये 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.8 प्रतिशत कर दिया।
फिच ने चीन के लिये पूर्वानुमान 2018 में 6.6 प्रतिशत और 2019 में 6.1 प्रतिशत पर बनाये रखा। एजेंसी ने कच्चा तेल में भी नरमी का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
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उसका कहना है कि कच्चा तेल 2018 के 71.60 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में गिरकर 2019 में करीब 65 डॉलर प्रति बैरल और 2020 में 62.50 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकता है।
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