आस्था का केंद्र है विश्राम वट, श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ किया था आराम
बरगद का विशाल वृक्ष और यहां स्थित हनुमान जी का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां यह बरगद का विशाल वृक्ष त्रेता युग से है, जहां भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास जाते समय इसी के नीचे बैठकर आराम किया गया था, जिसके चलते लोग इसे विश्राम वट के नाम से जानते हैं।

महानदी किनारे बसा शिवरीनारायण ऐतिहासिक और पौराणिक नगर है, जहां भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर है, वहीं लक्ष्मीनारायण स्वयंभू भगवान है, जिसके नीचे चरण कुंड है। इसके अलावा चंद्रचूर महादेव राममंदिर के साथ अनेक देवी-देवताओं का वास है। वहीं, महानदी के इस पार गिधौरी भी पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
यहां स्थित बरगद का विशाल वृक्ष और यहां स्थित हनुमान जी का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां यह बरगद का विशाल वृक्ष त्रेता युग से है, जहां भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास जाते समय इसी के नीचे बैठकर आराम किया गया था, जिसके चलते लोग इसे विश्राम वट के नाम से जानते हैं।
बरगद पेड़ बहुत ही पुराने हो गया है और उसकी जड़ की डाली नीचे जमीन तक पहुंचती है, जिनसे नए पेड़ निकल आता है, जिससे पुराना वृक्ष आज भी हरा-भरा है। पुराने वृक्ष से उसकी जड़ों के लिपट जाने के कारण पेड़ आज भी काफी मजबूत है।
ग्रामीणों का कहना है कि यहां भीषण गर्मी के दिनों में बरगद की छाया अति सुहावनी होती है। यहां बैठने से जहां शरीर को आराम मिलता है, वहीं मन को भी असीम शांति मिलती है। यहां भगवान बजरंग बली मंदिर भी है, जहां श्रद्धालुओं का हमेशा आना-जाना लगा रहता है।
मंदिर के पुजारी मुकेश शर्मा ने बताया कि वे यहां मंदिर की देखरेख करते हैं और सुबह-शाम भगवान बजरंग बली की पूजा-पाठ करते हैं। उन्होंने बताया कि यहां दाे मूर्तियां थीं, जिनमें से एक अत्यंत प्राचीन मूर्ति को कोई चोरी कर ले गया। पुजारी श्री शर्मा ने बताया कि आसपास के ग्रामीणों सहित यहां ओडिशा से भी लोग पूजा-अर्चना तथा दर्शन करने आते हैं। वहीं, हर मंगलवार व शनिवार को विशेष पूजा करते हैं।
कभी कम नहीं होता कुंड का पानी
वटविश्राम के पास एक कुटिया है। वहीं, वट के सामने महानदी नदी से 20 फिट ऊपर एक पुराना कुंड है, जिसमें का पानी कभी कम नहीं होता। परंतु अब पवित्र कुंड पर अव्यवस्था के कारण से साफ सफाई एवं जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
वन गमन पथ में 92 नंबर पर
ग्रामीणों के अनुसार भगवान श्री राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास जाते समय इस वृक्ष के नीचे विश्राम किया था। वहीं, 1980 में यहां चबूतरे का निर्माण किया गया। दिल्ली से पहुंचे शोधकर्ता डाॅ रामावतार के अनुसार भी गिधौरी में बरगद के नीचे वनगमन के राम-लक्ष्मण एवं सीता माता ने विश्राम किया था। श्री राम वन गमन स्थलों में गिधौरी विश्राम वट 92 नम्बर पर है।