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भैरव नाथ को चढ़ाए शराब का प्रसाद, फिर देखें कैसे बनते जाएंगे बिगड़े काम

कालाष्ट्मी के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है जो इस बार 29 नवंबर, गुरुवार को है। भैरव नाथ को अगर उनका प्रिय प्रसाद मदिरा चढ़ाया जाए तो यह तुरंत लाभकारी है।

भैरव नाथ को चढ़ाए शराब का प्रसाद, फिर देखें कैसे बनते जाएंगे बिगड़े काम
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काल भैरव जयंती 2018 (Kaal Bhairav Jayanti 2018)

हिंदू शास्त्रों में शिव के रोद्र रूप भैरव नाथ की पूजा का भी विशेष महत्व है। इसलिए कालाष्ट्मी के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है जो इस बार 29 नवंबर, गुरुवार को है। कालाष्टमी के दिन शिव शंकर के इस रूप का जन्‍म हुआ था। हिंदू धर्म में भैरव देव की विधिवत पूजा से व्यक्ति के मन से भय दूर होता है और सभी मनोकामनाएं पू्र्ण होती हैं।

भैरव नाथ का डरावना रूप

मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन जो भी व्यक्ति कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है। उसके सभी पाप नष्ट होते हैं। यूं तो लोग काल भैरव के नाम से डर जाते हैं कि वह क्रोधित देव हैं लेकिन हम आपको बता दें कि भैरवनाथ बहुत दयालु हैं।

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भैरवनाथ का स्वरूप ही डरावना है जिसमें उनके एक हाथ में ब्रह्माजी का कटा हुआ सिर, तीनों हाथों में खप्पर, त्रिशूल और डमरू हैं। डमरू शिव जी के हाथों में भी होता है। भैरव नाथ के इस रोद्र रूप में शिव ही बसते हैं। हालांकि भक्तों को भैरव नाथ के इस रोद्र रूप से बड़ा डर लगता है लेकिन भैरव देव अपने आप में बड़े ही दयालु हैं।

भैरव भक्तों का भरण-पोषण करने वाले देवता हैं। काल भैरव की उपासना से शनि और राहु जैसे क्रूर ग्रहों शांत हो जाते हैं। साथ ही भैरव नाथ को अगर उनका प्रिय प्रसाद चढ़ाया जाए तो यह तुरंत लाभकारी है। आपको ज्ञात न हो तो हम आपको बता दें कि भैरव नाथ अकेले ऐसे देवता हैं जिनको प्रसाद में मदिरा प्रिय है।

मदिरा से तुरंत प्रसन्न होते हैं भैरव नाथ

यूं तो भैरव नाथ की पूजा में प्रसाद के तौर पर उड़द और उड़द से बनी वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। इनमें इमरती, दही बड़े भी चढ़ाए जाते हैं, भैरव को रोटला का प्रसाद भी प्रिया है जो पंच मेवा वाली रोटी होती है।वहीं पूजा में भैरव को चमेली के फूल चढ़ाए जाते हैं। तंत्र मंत्र के देवता भैरव नाथ को बकरे की बलि देना भी मान्य रहा है। परंतु भैरव देव को चढ़ाई गई शराब का प्रसाद आपके लिए हितकारी हो सकता है, शराब के प्रसाद से भैरव देव तुरंत प्रसन्न होते हैं।

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मान्यता है कि भैरव को शराब चढ़ाने से मोनकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भैरव रात्रि के देवता हैं। इनकी साधना का समय मध्य रात्रि यानी रात के 12 से 3 बजे के बीच का होता है। कुत्ता इनकी सवारी है इसलिए लोग कुत्ते को भैरो बाबा बुलाते हैं।

भगवान भैरव की उपासना बहुत जल्दी फल देती है। भैरव की उपासना क्रूर ग्रहों के प्रभाव को समाप्त कर देती है। अगर किसी पर शनि या राहु का प्रभाव है तो उसे शनिवार और रविवार को काल भैरव मंदिर में पूजा करनी चाहिए। करीब 40 दिन तक लगातार काल भैरव की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं मदिरा के प्रसाद से भैरव अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। ऐसा ही एक मंदिर भी है जिसमें भैरव की प्रतिमा मदिरापान करती है।

कालभैरव मंदिर में भैरव देव की प्रतिमा करती है मदिरापान

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में एक भैरव मंदिर काफी सुप्रसिद्ध है। यह मंदिर उज्जैन शहर 8 किमी दूर, क्षिप्रा नदी के तट पर बना है जिसका नाम कालभैरव मंदिर है। लगभग छह हजार साल पुराना यह मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर में मास, मदिरा, बलि और मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। इसमें पहले तांत्रिक अपनी तंत्र मंत्र विद्या करते थे।

इसी मंदिर में भैरव नाथ की प्रतिमा मदिरा पान करती है। भैरव की प्रतिमा को मदिरा चढ़ाई जाए तो वह इसका पान करती है। ये जादू देख भक्त दंग रह जाते हैं। प्रतिमा के मदिरा पान का असली रहस्‍य क्‍या है ये कोई नहीं जान पाया, कई लोगों ने इस रहस्‍य को जानने की कोशिश जरूर की, कि आखीर मदिरा का पात्र मूर्ति के मुंह के पास जाते ही खाली कैसे हो जाता है, और सारी मदिरा जाती कहां है किसी को नहीं मालूम?

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