पढ़िए असली गोपाष्टमी कथा, कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने रचाई लीला
गोपाष्टमी की कथानुसार इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी।

X
टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 11 Nov 2018 4:41 PM GMT Last Updated On: 2021-11-11 08:08:24.0
कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी को गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी जिसके लिए गौ माता की सेवा की जाती है। इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का विधान है। आज हम आपको गौपाष्टमी की कथा सुनाने वाले हैं। जानिए क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी....
इसे भी पढ़े- गोपाष्टमी 2018: गोपाष्टमी पूजा विधि, मोक्ष प्राप्ति का सर्वोतम उपाय
गोपाष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्म से निवृत हो कर स्नान करते हैं। फिर गौओं और उनके बछड़ो को भी स्नान कराया जाता है। गौ माता के अंगो में मेहंदी, रोली हल्दी आदि के थापे लगाये जाते हैं। गायों को संपूर्ण रूप से सजाया जाता है। फिर धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड, जलेबी, वस्त्र और जल से गौ माता की पूजा की जाती है, आरती उतरी जाती है।
पूजन के बाद गौ ग्रास निकाला जाता है, गौ माता की परिक्रमा की जाती है, परिक्रमा के बाद गौओं के साथ कुछ दूर तक चला जाता है। कहते हैं ऎसा करने से प्रगत्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। इस दिन ग्वालों को उपहार देने की भी रस्म है। अपने सामर्थ्य अनुसार ग्वालों को उपहार दें।
गोपाष्टमी कथा
भगवान् ने जब छठे वर्ष की आयु में प्रवेश किया तब एक दिन भगवान् माता यशोदा से बोले – "मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं"
मैय्या यशोदा बोली – "अच्छा लल्ला अब तुम बड़े हो गए हो तो बताओ अब क्या करें"
भगवान् ने कहा – "अब हम बछड़े चराने नहीं जाएंगे, अब हम गाय चराएंगे"
मैय्या ने कहा – "ठीक है बाबा से पूंछ लेना"मैय्या के इतना कहते ही झट से भगवान् नन्द बाबा से पूंछने पहुंच गए।
बाबा ने कहा– "लाला अभी तुम बहुत छोटे हो अभी तुम बछड़े ही चाराओं"
भगवान् ने कहा– "बाबा अब में बछड़े नहीं जाएंगे, गाय ही चराऊँगा "
जब भगवान नहीं मने तब बाबा बोले- "ठीक है लाल तुम पंडत जी को बुला लाओ- वह गौ चारण का महुर्त देख कर बता देंगे"
बाबा की बात सुनकर भगवान् झट से पंडित जी के पास पहुंचे और बोले– "पंडित जी ! आपको बाबा ने बुलाया है, गौ चारण का महुर्त देखना है, आप आज ही का महुर्त बता देना में आपको बहुत सारा माखन दूंगा" पंडित जी नन्द बाबा के पास पहुंचे और बार-बार पंचांग देख कर गड़ना करने लगे तब नन्द बाबा ने पूंछा "पंडित जी के बात है ? आप बार-बार के गिन रहे हैं ?
पंडित जी बोले "क्या बताएं नन्दबाबा जी केवल आज का ही मुहुर्त निकल रहा है, इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई मुहुर्त नहीं है" पंडित जी की बात सुन कर नंदबाबा ने भगवान् को गौ चारण की स्वीकृति दे दी। भगवान जी समय कोई कार्य करें वही शुभ-मुहुर्त बन जाता है।
उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरम्भ किया और वह शुभ तिथि थी- "कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष अष्टमी" भगवान के गौ-चारण आरम्भ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App
- Gopashtami 2018 gopashtami Katha gopashtami puja vidhi gopashtami 2018 date gopal ashtami 2018 date gau ashtami 2018 gopashtami puja vidhi gopashtami story gopashtami in hindi gopashtami vrat katha in hindi shrikrishan leela gopashtami kahani गोपाष्टमी गोपाष्टमी 2018 गोपाष्टमी कथा गोपाष्टमी कहानी गोपाष्टमी कृष्ण लीला गोपाष्टमी पूजा विधि गो�
Next Story